जगदलपुर

झीरम कांड: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज की

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और एमआर शाह भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि आप चाहते हैं कि विशेषज्ञ गवाह की जांच हो लेकिन आयोग इस पर सहमत नहीं था। आप भले ही आयोग का कार्यकाल बढ़ा दें लेकिन पैनल ने अपनी कार्यवाही बंद कर दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी अपील में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

जगदलपुरSep 29, 2020 / 10:36 pm

Karunakant Chaubey

नई दिल्ली/जगदलपुर. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में हुए झीरम घाटी माओवादी हमले की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के सामने और अतिरिक्त गवाह पेश किए जाने की छत्तीसगढ़ सरकार की अपील को ठुकरा दिया है। राज्य सरकार ने अपील की थी कि न्यायिक जांच आयोग के सामने और गवाहों को पेश किया जाए। मई 2013 में हुए इस हमले में कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेताओं सहित 29 लोग मारे गए थे।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और एमआर शाह भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि आप चाहते हैं कि विशेषज्ञ गवाह की जांच हो लेकिन आयोग इस पर सहमत नहीं था। आप भले ही आयोग का कार्यकाल बढ़ा दें लेकिन पैनल ने अपनी कार्यवाही बंद कर दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी अपील में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

राज्य सरकार चाहती थी कि इस मामले में अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ करने का विशेष न्यायिक आयोग के गठन को मंज़ूरी दी जाए। न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ की से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि न्यायिक आयोग ने छह महत्पूर्ण गवाहों की गवाही दर्ज करने के अनुरोध को खारिज कर दिया ।

ये है झीरम घाटी मामला

करीब 7 साल पहले यानि 25 मई 2013 को माओवादियों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में झीरम घाटी के अंदर कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर हमला किया था। उस नक्सल हमले में 29 लोगों की मौत हुई थी और कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की भी जान गई थी। नक्सल हमले में जान गंवाने वाले 29 लोगों में तत्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल शामिल थे।

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