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आदिवासी क्षेत्र में लावारिश पड़ा शव, जानिए कैसे ले लिया ममी का रूप पढि़ए इसके पिछे की 10 बड़ी बातें

locationजगदलपुरPublished: May 09, 2019 04:29:23 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

इससे पहले भी एक दशक पहले ऐसा ही शव देखा गया था जो तांबे के रंग का था। जो कि, बाढ़ के साथ बहकर आया था।

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आदिवासी क्षेत्र में लावारिश पड़ा शव, जानिए कैसे ले लिया ममी का रूप पढि़ए इसके पिछे की 10 बड़ी बातें

जगदलपुर. बीजापुर के मोदकपाल में फैले जंगल में हाल ही में एक ममी पाई गई है। बाताया जा रहा है कि, ये कुदरत का करिश्मे से बनी हुई ममी है। इससे पहले भी एक दशक पहले ऐसा ही शव देखा गया था जो तांबे के रंग का था। जो कि, बाढ़ के साथ बहकर आया था।

जानिए इस ममी की 10 बड़ी बातें

इस ममी व अन्य सभ्यताओं के ममी में मोटा फर्क यह है कि इसे संरक्षित रखने किसी रसायन का उपयोग नहीं हुआ है। बल्कि कुदरत के करिश्मे ने एक शव को ममी में बदल दिया है।

पुलिस भी रह गई दंग
शव की स्थिति को देखते थाना ने इसकी जानकारी रीजनल फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी को दी। यहां पहुंची टीम को आरंभिक जांच में चौंकाने वाली बात नजर आई कि यह शव ममी में परिवर्तित हो गया है।

शव को ससम्मान दफनाया गया
फॉरेन्सिक टीम द्वारा जांच पूरी हो जाने के बाद शव को पंचनामा कर इस शव को सम्मान सहित दफना दिया गया। शिनाख्ती व अन्य पहलुओं की जांच के लिए डीएनए सैपलिंग करने शव के एक हिस्से को रायपुर स्थित एफसीएल में भेजा गया है।

नहीं सड़ा था और शवों की तरह ये शव
ऐसा हुआ खुलासा सूखे नाले पर मिला यह शव पुराना होने के बाद भी अन्य शव की तरह सड़ा- गला नहीं था। बल्कि इसकी त्वचा मोटे चमड़े में बदल गई थी।

ममी मानकर दर्ज कर दिया रिकार्ड
करीब ६ फुट लंबाई वाले मृतक की उम्र ४० साल के आसपास आंकी गई। लक्षण के आधार पर इस शव को ममी मानकर रिकार्ड दर्ज किया गया है।

दशक भर पहले भी मिला है एक ममी
आरएफएसएल के वैज्ञानिक डा. बी सूरी बाबू ने एक अन्य वाकये का जिक्र करते हुए बताया कि बारसूर इलाके में दशक भर पहले एक और ममी देखी गई थी।

बाढ़ के दौरान बहकर आया था शव
नदी के बीचों बीच एक अजीबो गरीब शव अटका हुआ है। इंद्रावती की छिछली धारा को पार कर जब वे उस जगह तक पहुंचे तो पाया कि यहां तांबई रंग का एक शव अटका हुआ था।

बाढ़ में बहकर आया था शव
शोध करने पर पता चला कि यह शव बाढ़ के दौरान दूर कहीं से बहकर आया होगा। इस टापूनुमा जगह पर रेत की तपिश व शुष्क हवाओं ने कालांतर में इसे ममी में बदल दिया।

कुदरत ने बना दिया ममी
ज्वाइंट डायरेक्टर, क्षेत्रीय न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला के डा. बी सूरी बाबू ने बताया कि, तेज गर्मी व सूखी हवाओं की वजह से ऐसा हुआ है। गर्मी ने शव को सूखा दिया व तेज हवा ने उसके सडऩ की प्रक्रिया धीमी कर दी। शव कड़े चमड़े की तरह हो गया था। इसे ममीटाइजेशन कहते हैं।

दो दशक में दो घटनाएं
ममी में बदलने की ऐसी घटनाएं कम देखी गई हंैं। बस्तर संभाग में दो दशक में ये दो घटनाएं विभाग ने दर्ज की है। आगे और शोध जारी है।

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