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इस बीमारी से बस्तर में हर साल जा रही बच्चों की जान, न लगा रहे टीका, न बना अभी तक चाइल्ड वार्ड

locationजगदलपुरPublished: Jun 22, 2019 12:15:34 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

बस्तर जिले में दो सालों से जापानी इंसेफेलाइटिस Japanese encephalitis से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान भी बंद है।

Japanese encephalitis

इस बीमारी से बस्तर में हर साल जा रही बच्चों की जान, न लगा रहे टीका, न बना अभी तक शिशु रोग

जगदलपुर. जापानी बुखार से हर साल बस्तर संभाग में बच्चों की जान जा रही हैं। इधर बस्तर जिले में दो सालों से जापानी इंसेफेलाइटिस Japanese encephalitis (जेई) JE से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान भी बंद है। इतना ही नहीं सौ बिस्तर महारानी अस्पताल में चाइल्ड वार्ड ही नहीं हैं। जेई से लगातार हो रही मौत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। पिछले साल पूरे बस्तर संभाग में 6 बच्चों की मौत हुई थी। वहीं गुरुवार रात डिमरापाल मेडिकल कॉलेज Dimrapal Medical Collage में चोलनार गांव के चार वर्षीय भुवन नाग की जापानी बुखार से मौत हो गई। जबकि दो संदिग्ध बच्चे अभी भी अस्पताल में भर्ती है। अभी इन बच्चों की जांच रिपोर्ट नहीं आई है। हालांकि लक्षण और बच्चे की गंभीर स्थिति के आधार पर डॉक्टरों ने जापानी बुखार Japanese Encephalitis का इलाज शुरू कर दिया है। अगर समय रहते बच्चों की बिगड़ती तबियत पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात बिगड़ सकते हैं।

शहर से दूर मेडिकल कॉलेज में इंतजाम
अगर कोई बच्चा जगदलपुर शहर डॉक्टरों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड Child ward में इस बीमारी से लडऩे की पूरी व्यवस्था है। दवाई से लेकर आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध है। चाइल्ड वार्ड में 66 बेड के अलावा एसएनसीयू में 36 बेड है। साथ ही यहां पर 8 वेंटीलेटर भी मौजूद है। जापानी बुखार मई-जून में ज्यादा होता है। इन दिनों बच्चों में होने वाले साधारण बुखार की भी डॉक्टर से जांच करवाएं। दो-तीन दिनों तक बुखार नहीं उतरने पर तत्काल बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करें।

जानिए क्या कह रहे स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार

बच्चे की हालत ज्यादा बिगडऩे पर
मेकॉज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि, जापानी बुखार की वजह से चार साल के बच्चे की मौत हुई है। बच्चे की हालत ज्यादा बिगडऩे पर उसे भर्ती किया गया था। इससे उसकी मौत हो गई। जिन बच्चों में भी इस प्रकार के लक्षण मिल रहे हैं, उनका तत्काल इलाज शुरू किया जा रहा है।

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