पहले ही रेल व बस सेवा रोकने के आदेश
दरभा डिविजन के सचिव साईनाथ ने शनिवार को बस्तर बंद का आह्वान किया है। यही कारण था कि यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशाखापट्नम से चलकर किरंदूल चलने वाली पैसेंजर को शुक्रवार और शनिवार दो दिन के लिए रेलवे ने पहले ही जगदलपुर में रोकने के आदेश दे दिए थे। हालांकि वाल्टेयर रेल मंडल ने कारण स्पष्ट नहीं किया है लेकिन सूत्र बताते हैं कि ट्रेनों का संचालन नहीं करने का फैसला माओवादी बंद को देखते हुए लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ बस संचालक शुक्रवार की रात तक उहापोह की स्थिति में लेकिन शनिवार की सुबह यात्रियों की संख्या और पुलिस पर भरोसा जताते हुए जिला मुख्यालय की तरफ बसों का संचालन यात्रियों की संख्या के अनुसार भेजना शुरू किया।
संसाधनों पर बस्तर के हक की बात लिखी
मालूम हो कि माओवादियों ने पुलिस कैंपों की स्थापना करने, अनुसूचित इलाके में पेसा कानून को अमल नहीं होने, किरंदुल इलाके में चार और पोटाली व चिकपाल पंचायत दो नए कैंप खोलने, गोंडेरास में पुनेम सीको को फर्जी मुठभेड़ मारने जेल में बन्द सभी निर्दोषों की रिहाई की मांग व प्राकृतिक संसाधनों पर बस्तर के हक की बात लिखी थी।
दंतेवाड़ा व सुकमा में यात्री प्रतीक्षालयों में ही बसो के इंतजार में खड़े रहे यात्री
सुकमा व दंतेवाड़ा जिले के अंदुरुनी इलाकों में सडक़ मार्ग पूरी तरह बाधित रहा। इससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। ४३ डिग्री गर्मी में वे यात्री प्रतीक्षालय में खड़े रहकर ग्रामीण बसों का इतजार करते रहे। इतना ही नहीं ऐसे लोग जो किसी काम से शहर की आए हुए थे वे भी मुख्यालम में फंस गए। ंद बसबसे ज्यादा कटेकल्याण, भोपालपटनम, अरनपुर इलाको में बन्द का असर देखा गया।
सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, माओवादी नहीं मचा सके उत्पाद
माओवादी बंद के दौरान जमकर उत्पात मचाते हैं। इलाके में पर्चा फेंकना, वाहनों में आगजनी, सडक़ों को काट देना, सडक़ों पर पेड़ काटकर मार्ग अवरूद्ध कर देना जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। लेकिन इस बार माओवादियों की तरफ से इस तरह की गतिविधियां देखने को नहीं मिली। बताया जा रहा है कि बंद को देखते हुए पुलिस ने सर्चिंग तेज कर दी थी और आवश्यक निर्देश भी दिए थे, यही वजह रही की माओवादी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सके।