२०१४ में नक्सली दंश सहकर वापस घोटिया से पलायन कर भरंडा पहुंचा था परिवार
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर भरण्डा में निवासरत रेनुराम नुरेटी का परिवार मूलत: घोटिया का है। वर्ष 2014 में नक्सलियों का दंश झेलकर रेनुराम नुरेटी का परिवार भरण्डा में आकर जीवन यापन करने में लगा हुआ था। परिवार का कहना है कि इसी दौरान रेनुराम नुरेटी पुलिस में शामिल होकर गोपनीय सैनिक का कार्य कर रहा था। वही रेनुराम की पत्नी मनोरा, बेटी अनिता नुरेटी नगर के गुडरी पारा में निवास करते थे। वही रेनुराम नुरेटी का छोटा भाई मानू नुरेटी एवं उसकी पत्नी मानबती भरण्डा गांव में निवास कर खेती किसानी कर अपना जीवन यापन करने में लगे हुए थे। इससे रेनुराम नुरेटी ने भरण्डा गांव में मकान बनाने निर्णय लिया था। इससे रेनुराम नुरेटी की पत्नी मनोरा एव बेटी अनिता भरण्डा गांव में निवासकर ईटा बनाने के कार्य मे जुटे हुए थे। वही रेनुराम नुरेटी जनवरी 2021 में नव आरक्षक के रूप पदोन्नत होकर डीआरजी में शामिल होने के बाद कडेमेटा में पदस्थ होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है।
बस्तर फाइटर के लिए फार्म भी भरा है
मानु नुरेटी ने बस्तर फाइटर में भर्ती होने के लिए फार्म भरकर प्रति दिन दौ? लगाने का कार्य कर रहा था। बस्तर फाइटर में शामिल होने वाला कैसे नक्सली हो सकता है। वही उसका ब?ा भाई खुद डीआरजी का जवान है।
हम नक्सल पीडि़त, मैं खुद पुलिस में
मेरा परिवार खुद नक्सल पीडि़त होने के कारण 2014 से घोटिया गांव छोड़ दिया था। मैं खुद पुलिस में काम करता हूं। वह कैसे नक्सली हो सकता है। पुलिस मेरे भाई को नक्सली बता रही है, वो पूरी तरह गलत है।
आरोप लगते रहे हैं
डीआरजी की टीम एरिया डोमिनेशन के लिए गई हुई थी। इसी दौरान भरण्डा छोटे पुलिया के करीब पार्टी पर फायरिंग की गई। जवाबी फायरिंग में एक नक्सली मारा गया।। मृतक के परिजनों द्वारा लगाए जा रहे आरोप गलत है। नक्सली संगठन ऐसी घटना के बाद परिजनों बरगला देते है। इस तरह के आरोप पुलिस पर लगते हैं।