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नक्सलियों की मांद में पदस्थ जवान कभी बदले की भावना से नही करता काम, खबर पढ़ इनके जज्बे को आप भी करेंगे सलाम

locationजगदलपुरPublished: Dec 22, 2018 10:03:25 am

Submitted by:

Badal Dewangan

माओवाद प्रभावित इलाके में 18 किमी पैदल सफर कर बचाई माओवादी की गर्भवती पत्नी की जान

सलाम करेंगे इनके जज्बे को

नक्सलियों की मांद में पदस्थ जवान कभी बदले की भावना से नही करता काम, खबर पढ़ आप भी सलाम करेंगे इनके जज्बे को

शेख तैय्यब ताहिर/जगदलपुर. सीआरपीएफ की 195 वीं बटालियन के जवानों ने एक माओवादी की पत्नी कोतली की जान बचाने के लिए न केवल अपने कैंप से करीब 9 किमी दूर माओवाद प्रभावित इलाके में पहुंचे बल्कि उसकी खराब स्थिति देख बांस का स्ट्रेचर बनाया और उसे कांधे में डालकर 9 किमी वापस अपने कैंप लाए, यहां उनके लिए एंबूलेंस का इंतेजाम किया और गर्भवती महिला को हॉस्पिटल के लिए भेजा। गौरतलब है कि महिला की का पति चेरू माओवादी गतिविधि में संलिप्त था, और उसे पुलिस ने अक्टूबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में ही है।

दरअसल गुरुवार की सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्राम पवेल के हितामेटा के पंचायत अरुपुंड इलाके के कुछ ग्रामीणों से सूचना मिली की एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई है, और उसे जल्द ही अस्पताल पहुंचाना होगा। अब चुनौती थी दुर्गम इलाके में पहुंचने की। पगड़ंडी से पहुंचमार्ग वाली यहां की सड़क में गाड़ी से जाया नहीं जा सकता था। वहीं धुर माओवाद प्रभावित इलाका होने की वजह से पैदल जाना भी खतरे से खाली नहीं था। फिर भी जवानों की टीम मदद के लिए पैदल रवाना हुई। उनके घर पहुंची। लेकिन यहां महिला की प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। खराब स्थिति देखते हुए जवानों ने कबाड़ से जुगाड़ का रास्ता अपनाते हुए तुरंत बांस को तोड़कर उसका स्ट्रेचर बनाया और उसमें महिला को डालकर पहाड़ी व उबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए उसे कांधे में डालकर अपने कैंप लेकर आए। इस बीच एंबूलेंस को भी कॉल कर दिया गया था। जैसे ही यहां एंबूलेंस पहुंची उसे तुरंत इसमें डालकर दंतेवाड़ा अस्पताल के लिए रवाना कर दिया गया।
महिला ने स्वस्थ्य बच्चे बच्चे को दिया जन्म : गर्भवती महिला को जवानों के प्रयास से कैप तक लाया गया, इसके बाद सीईओ ने एंबूलेंस को कैंप तक बुलवाया। उसमें महिला को बैठाकर दंतेवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया गया। जहां महिला ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टर के मुताबिक जच्चा व बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।

माओवादी चेरू की पत्नी है
जवानों को मिली जानकारी के बाद जैसे उन्होंने तफ्तीश की वैसे ही पता चला कि महिला का पति माओवादी था। जिसे पिछले माह अक्टूबर माह में ही गिरफ्तार किया गया था। बावजूद इसके जवान की टीम प्रसव से कराह रही महिला को बचाने पैदल 9 किमी पहुंचे और उसे कांधे में डालकर कैंप तक लाया।

बदले की भावना से नहीं, दिल जीतने के इरादे से करते हैं काम
असिस्टेंट कमांडेंट राजीव सिंह से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जवान कभी भी बदले की भावना से काम नहीं करता है। बल्कि वे यहां ग्रामीणों के दिल जीतने के इरादे से काम करते हैं। इस मामले में भी पहले ही पता चल गया था कि महिला गिरफ्तार माओवादी की पत्नी है। लेकिन इस वक्त महिला परेशानी में थी, और उसकी मदद करना प्राथमिकता थी। इसलिए उसकी मदद करना प्राथमिकता थी। जवानों ने वैसा ही किया।

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