scriptलाॅकडाउन की वजह से ठेकेदार ने भगाया तो भूख से न मरू महाराष्ट्र से तमिलनाडू के लिए निकल पड़ा युवक, पहुंचा जगदलपुर | The youth left for TamilNadu from Maharashtra due to lockdown in india | Patrika News

लाॅकडाउन की वजह से ठेकेदार ने भगाया तो भूख से न मरू महाराष्ट्र से तमिलनाडू के लिए निकल पड़ा युवक, पहुंचा जगदलपुर

locationजगदलपुरPublished: Apr 02, 2020 05:04:31 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

500 किमी पैदल चल बस्तर के नागगूर गांव पहुंचा तमिलनाडू का मजदूर, बाहिस्कृत की तरह छह घंटे बैठा रहा, सूचना के छह घंटे बाद पहुंची एंबूलेंस

लाॅकडाउन की वजह से ठेकेदार ने भगाया तो भूख से न मरू महाराष्ट्र से तमिलनाडू के लिए निकल पड़ा युवक, पहुंचा जगदलपुर

लाॅकडाउन की वजह से ठेकेदार ने भगाया तो भूख से न मरू महाराष्ट्र से तमिलनाडू के लिए निकल पड़ा युवक, पहुंचा जगदलपुर

जगदलपुर. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देश में हुए 21 दिन के लॉकडाउन का सबसे बुरा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है। काम ठप्प होने की वजह से उनका गुजार दुभर हो गया है। ऐसे में वह कहीं भूख से न मर जाएं इसलिए अपने घर जाने की कोशिश में हैं। ऐसे ही एक महाराष्ट्र का मजदूर ५०० किमी पैदल सफर कर बस्तर पहुंच गया। दरअसल यह शिवा सुब्रमणियम तमिलनाडू के तिरूवन्नामलाई का है। महाराष्ट्र क ेसोलापुर में पिछले काफी समय से काम कर रहा था। जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो मालिक ने काम बंद कर दिया और इसे अपने घर जाने के लिए कह दिया। लॉक डाउन की वजह से २४ मार्च को यह कुछ पैसों के साथ सोलापुर से पैदल ही निकल पड़ा। रोजना सुबह से शाम तक पैदल चाल और रास्ते में कुछ दुकानों से बिस्किट व अन्य खाने के सामान के साथ यह आगे बढ़ता गया। लेकिन इसी बीच वह रास्ता भूल गया और बस्तर पहुंच गया। यहां के नानगूर इलाके के लोगों को जब इसकी बात चली तो गांव के समाज सेवी शकील रिजवी को इसकी जानकारी दी। इसके बाद नानगूर चैकी, उपस्वास्थ्य केंद्र से लेकर पूरी टीम मौके पर पहुंची। इसकी जानकारी सरकारी नंबर पर कॉल करके भी दी गई। ताकि इस मजदूर की जांच और आइसालेट किया जा सके। लेकिन यहां तक एंबूलेंस को पहुंचने में छह घंटे से अधिक का समय लग गया। इस समय तक गांव के लोगों के बीच घबराहट वाली स्थिति बनी रही। वे सोचते रहे कि कहीं वायरस इस व्यक्ति के जरिए गांव के लोगों तक न पहुंच जाए। हालंाकि शाम पांच बजे स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और इसे लेकर डिमरापाल गए। जहां इसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है।

आठ घंटे गांव से बाहर उपस्वास्थ्य केंद्र के बाहर जमीन पर बैठे रहा
रास्ता भटककर नानगुर के पुलचा पहुचे इस मजदूर के लोग जब गांव वालों ने देखा तो बातचीत की। भाषा नहीं समझ आने की वजह से वे समझ गए कि यह बाहर का है। गांव वालों से इसे भगा दिया। इसके बाद यह मददूर सिरमुड़ पहुंचा। यहां भी गांव वालों ने इसकी जानकारी सरपंच और समाजसेवी शकील को दी। शकील ने इसकी जानकारी स्थानी पुलिस कश्यप और स्वास्थ्य विभाग के डॉ. सेते को दी।

भाषा भी बनी मुसिबत, आंध्रा बात करवाकर परेशानी समझी
शिवा के सामने सबसे बड़ी मुसिबत अपनी समझाने की थी। उसे तमित और तेलगू भाषा ही आती थी। यही वजह रही कि उसकी बात कोई समझ नहीं पा रहा था। जब मौके पर शकील पहुंचे। तो उसने अपने हैदराबाद के एक दोस्त अशोक से बात कराई। तब जाकर मामला समझ आया। इसके बाद उन्होंने यह जानकारी विभाग को दी। और आगे की कार्रवाई बढ़ी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो