पेड़ों पर लटक रहे ये झोले नहीं...ग्रामीणों की लाचारी और सिस्टम की नाकामी है
जगदलपुरPublished: Sep 11, 2023 08:40:43 pm
- रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं, रैन बसेरा जैसी स्थिति नहीं, समय-समय पर जारी होती है रहने
- बाहर से आते हैं तो लकडियंा और राशन अपने साथ लेकर आते हैं।
- भोजन के लिए भटकना न पड़े इसलिए परिवार सामान समेत पहुंचते हैं मेकाज


पेड़ों पर लटक रहे ये झोले नहीं...ग्रामीणों की लाचारी और सिस्टम की नाकामी है
जगदलपुर. मेडिकल कॉलेज के परिसर के एक कोने में पेड़ों पर टंगे हुए झोले और बोरे आपको जरूर नजर आए होंगे लेकिन इसके पीछे की कहानी इसे टांगने वाले परिवारों की लाचारी और सिस्टम की नकामी का एहसास दिलाती है। दअरसल यहां संभागभर से आने वाले मरीजों के ठहरने और उनके सामान रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मरीज का इलाज करने के साथ गांव वालों के ठहरने और खाने पीने की समस्या हमेंशा खड़ी रहती है। बजट भी इतना अधिक नहीं रहता, इसलिए परिवार घर से ही राशन, लकड़ी समेत अन्य जरूरी सामान लेकर आते हैं। इन सामान के साथ मेकाज के अंदर उनकी एंट्री होना मुश्किल होता है। इसलिए यह परिवार परिसर में उगे पड़ों पर ही सामान को लटका देते हैं।