नोटिस के बाद दिया ग्रामीणों ने ये बयान
अब दो सौ किमी दूर बयान दर्ज कराने आने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दरअसल ग्रामीण तो नहीं आए, लेकिन जो कर्मचारी नोटिस जारी करने गांव पहुंचे उन्होंने आयोग के सामने अपने बयान में यह बातें कही। शुक्रवार को आयोग के सामने पहुंचे यहां के तहसीलदार प्यारेलाल नाग, पंचायत सचिव देवा पोयामी, चिंतागुफा सचिव भीमा सोरी, पटवारी सोढ़ी जोगा, जगरगुंडा फारेस्ट गार्ड रामनाथ बघेल, चिंतलनार डिप्टी रेंजर धनसिंह जीराम, गोंडपल्ली सचिव माडवी हड़मा समेत अन्य कर्मचारी आयेाग के सामने पहुंचे।
सीबीआई भी टीएमटीडी घटना की जांच कर चुकी है
जस्टिस टीपी शर्मा अध्यक्षता वाली इस आयोग के सामने सभी ने बताया कि वे १०५ लोगों के नोटिस लेकर गए थे, लेकिन इनमें से ५५ लोग नहीं मिले। जिनमें कुछ की मौत, कुछ के बाहर काम करने जाने की वजह शामिल हैं। वहीं बचे लोगों ने भी आने से मना कर दिया। गौरतलब है कि करीब चार साल बाद फिर गवाहों ने बयान दर्ज होना शुरू हुए हैं। लेकिन फिर से यह कड़ी टूटती नजर आ रही है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई भी टीएमटीडी घटना की जांच कर चुकी है। इधर आठ साल में आयोग का कार्यकाल 30 बार बढ़ाया जा चुका है।
19 की हो चुकी है मौत, 13 आंध्र काम करने गए 2 जेल में
नोटिस तामिल करने गए कर्मचारियों ने आयोग को बताया कि १०५ लोगों के लिए नोटिस जारी हुए थे। जब नोटिस को गांव लेकर कर्मचारी पहुंचे तो पता चला कि इनमें से १९ की मौत हो चुकी है। १३ आंध्र प्रदेश काम करने गए हैं। वहीं २ लोग जेल में है। इस तरह ५५ लोग नहीं मिले।
अग्निवेश, मनीष कुंजाम व आईजी कल्लूरी के बयान हो चुके हैं दर्ज
जिन प्रमुख लोगों के अब तक बयान हो चुके हैं उनमें पीडि़तों के साथ स्वामी अग्निवेश, पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, पुलिस अफसरी एसआरपी कल्लूरी के अलावा पुलिस, सीआरपीएफ के कई अफसर, जवान, पंचायत एवं दूसरे विभाग के कर्मचारी तथा घटना की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार आदि मुख्य हैं।