कभी उंचाई और सफर करने पर लगता था डर
नैना के एवरेस्ट फतह करने पीछे की कहानी भी बेहद रोचक हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एवरेस्ट फतह कर सकती हैं क्योंकि उन्हें हमेशा से ही उंचाई से डर लगता था और सफर करने पर उल्टी और चक्कर की शिकायत थी। लेकिन पहली बार जब एनएसएस कैंप के साथ पहली बार डोंगरी(पहाड़) में ले जाया गया तो यह काफी रोमांचकारी सफर लगा। इस दौरान एक हफ्ते तक घर से दूर रहना पड़ा। लेकिन इसी समय तय कर लिया था कि अब इस तरह के सबसे उंचे पहाड़ को वह फतह करेंगी। इसके बाद २०१० में हिमाचल में एक कैंप और फिर २०११ में टाटा स्टील की तरफ से भूटान जाने का मौका मिला। यहां पहली बार पर्वतारोहणों से मुलाकात हुई और २०१३ में अन्नपूर्णा पहाड़ चढऩे का मौका मिला।
एवरेस्ट के साथ लाओत्से की चोटी फतह करने वाली पहली लडक़ी है माउंटेन गर्ल
नैना सिंह धाकड़ ने 2021 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी 8848.6 मी. की ऊंचाई पर माउंट एवरेस्ट फतह करने की उपलब्धि अपने नाम की। इसे फतह करने में उन्हें करीब १० दिन का समय लगा था। इसके साथ ही विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट लाओत्से जिसकी ऊंचाई 8516 मीटर है, में चढ़ाई करके पहली महिला पर्वतारोही के रूप में अपना विश्व रिकॉर्ड बनाया।
मां है असली हीरो
नैना सिंह धाकड़ बताती है इस सफर में कई चोटियों की उन्होंने चढ़ाई की, लेकिन इसमें लोगों के तानों की गूंज जो मेरी मां को सुनना पड़ता था। गलत बातों को लेकर मां को बुरा भला कहना लोगों ने लगातार जारी रखा लेकिन मां ने कभी भी उन्हें सीधे यह सारी बातें नहीं बताई। लेकिन मां तो मां है बात बात में यह सारी चीजें बाहर जा जाया करती थी। इन सारी चीजों का गुस्सा था और मन में था कि इस लोगों को करारा जवाब दूंगी। साफ नियम और कड़ी मेहनत से जब एवरेस्ट फतह किया तो अब वही लोग शादी तक के लिए कहने लग गए हैं। इस पूरे सफर में मां का रोल सबसे अहम हैं।
राष्ट्रपति के हाथों एडवेंचर पुरस्कार लेने वाली बस्तर की पहली महिला
– विश्व की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट और पांचवी उंची चोटी माउंट लाओत्से फतह करने पर वल्र्ड वाइड रिकार्ड ऑफ बुक में नैना का नाम शामिल किया गया।
– सीएम भूपेश बघेल ने पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ को सम्मानित कर चुके हैं।
– राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तेजनिंग नोर्गे राष्ट्रीय पुरस्कार के तहत लैंड एडवेंचर पुरस्कार से सम्मानित किया है।