नौ दिनों तक लगता है छप्पन भोग
पहले तो मौसी गोंडिचा को जैसे ही खबर लगती है कि जगन्नाथ उनके घर यानी जनकपूरी आर रहे है तो मौसी उनके स्वागत की तैयारी में जुट जाती है। मौसी के घर पहुंचते ही मौसी जग के नाथ उनका स्वागत सत्कार करती है। यहां महा प्रभु को पूरे 9 दिन तक 56 भोग परोसे जाते है। जिन्हें महाप्रभु के ग्रहण करने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
ढूंढते हुए आती है माता लक्ष्मी
जग के नाथ महाप्रभु जब माता लक्ष्मी को बिना बताए मौसी गुंडिचा के घर आ जाते है तो तीसरे दिन पंचमी को माता लक्ष्मी महाप्रभु को ढूंढते हुए मौसी के घर पहुंचती है। है तो उस समय दरवाजा नहीं खोले जाने पर माता लक्ष्मी नाराज होकर वापस लौटते वक्त रथ के पहिए को तोड़ते हुए वापस अपने घर वापस आ जाती है।
मौसी के घर में रहकर देते है अलग-अलग अवतार में दर्शन
मौसी के घर जाने के बाद मौसी के घर भगवान हर दिन अपने अलग अलग अवतार में नजर आते है। और इन अवतारों को देखने उनके दर्शन हेतु लोगों का तांता लगा रहता है। हजारों की संख्या में लोग रोज महाप्रभु के अलग अलग रूप के दर्शन करने आते है।
यह भी मान्यता है
सैकड़ो सालों से चली आ रही इस परंपरा में एक बात और सामने आती है कि जिस दिन भी यह रथ यात्रा होती है उस दिन इंद्र देव धरती पर बरसते है। रथ यात्रा के दिन बारिश होती है। सैंकड़ो सालों से यह देखा जा रहा है।