गुजर- बसर करने हो रही तकलीफ
इन सभी परिवारों को ग्राम पंचायत आमागुड़ा में स्थित एक सामाजिक भवन में ठहरने की व्यवस्था की गई है। विगत 14 दिनों से कामकाज बंद करने के बाद यह सभी यहां पर शरण लिए हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के अन्य जिलों में रहने वाले इन प्रवासियों की मदद करने के लिए सीआरपीएफ ने राशन मुहैया कराया था। इसके बाद इन्हें अब तक राशन मुहैया कराने की ओर पंचायत व अन्य किसी सामाजिक संस्थान की ओर से मदद नहीं मिली है। र्इंट भट्टी काम कराने वाले ठेकेदार ने खाना पकाने के लिए लकड़ी और एक बोरी चावल दिया है। इन सभी का ऐसे ही गुजर.बसर चल रहा है।
गांव जाकर करेंगे मनरेगा का काम
ईंट भट्टी का काम बंद कर अब यह सभी अपने गांव जाना चाहते हैं। द्वारिका प्रसाद का कहना है कि अब वह गांव में ही रोजी.रोटी की व्यवस्था करेंगे। सुना है कि शासन हमारे गांव में भी मनरेगा के तहत रोजगार मैया करा रही है। इसलिए हम गांव जाकर मनरेगा में मजदूरी का काम कर लेंगे।
खेती के सीजन में फसल और बाकी समय मजदूरी
दीपक कुमार आदित्य का कहना है कि वह सभी गांव में खेती.बाड़ी करते हैं और बाकी के समय मजदूरी का काम करते हैं। गांव में भी र्इंट बनाने का काम होता है, लेकिन रुपए नहीं बचते और आमदनी भी कम होती है। इसलिए हम सभी परिवार के साथ बस्तर में काम करने हर साल आते हैं। आने वाले साल तक सब ठीक रहा तो फिर से बस्तर काम करने आएंगे।
शासन की ओर से हमें अपने घर पहुंचाने की जाए व्यवस्था
मजदूर रवि ने बताया की लॉक डाउन के चलते हम सभी यहां पर फंसे हुए हैं। पत्नी और बच्चों के साथ यहां पर रह रहे हैं। रहने की तो यहां पर व्यवस्था है लेकिन शौचालय की व्यवस्था नहीं है। शासन से मांग है कि हम सभी को सही सलामत हमारे गांव पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।