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जांजगीर से काम करने बस्तर आए मजदूर लगा रहे शासन से ये गुहार, कहा कोरोना संक्रमण के बाद सब ठीक रहा तो अगले साल…….

locationजगदलपुरPublished: May 14, 2020 02:19:00 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

जांजगीर चांपा के मजदूर बस्तर में हर साल ईंट भट्टी में काम करने आते हैं, लॉक डाउन के बीच फं से मजदूर घर वापसी के लिए शासन से लगा रहे गुहार

जांजगीर से काम करने बस्तर आए मजदूर लगा रहे शासन से ये गुहार, कहा कोरोना संक्रमण के बाद सब ठीक रहा तो अगले साल.......

जांजगीर से काम करने बस्तर आए मजदूर लगा रहे शासन से ये गुहार, कहा कोरोना संक्रमण के बाद सब ठीक रहा तो अगले साल…….

जगदलपुर- जांजगीर चांपा जिले के वडेकेरा गांव में रहने वाले मजदूर विगत कई साल से बस्तर में ईंट भट्टी में काम करने आते हैं। मकान में मजदूर विगत 2 सप्ताह से बस्तर में फंसे हुए है। इन मजदूरों का कहना है, कोरोना वायरस संक्रमण के बीच यदि सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल फिर भी सभी बस्तर में काम करने आना चाहेंगे। यह पूरा परिवार बाल- बच्चों के साथ शहर के आमागुड़ा में एक ठेकेदार के यहां भट्टे में काम करते हैं। इस परिवार में 12 लोगों के अलावा छोटे बच्चे भी हैं। मजदूरों ने बताया कि हजार ईंट बनाने की पीछे ठेकेदार से 700 रूपए का मेहनताना मिलता है। घर बार छोडक़र रोजी- रोटी के लिए जांजगीर चापा से बस्तर पहुंचे हैं, लेकिन अब वे लॉक डाउन में फं से हैं और प्रशासन से अपने गांव वापस जाने के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं।

गुजर- बसर करने हो रही तकलीफ
इन सभी परिवारों को ग्राम पंचायत आमागुड़ा में स्थित एक सामाजिक भवन में ठहरने की व्यवस्था की गई है। विगत 14 दिनों से कामकाज बंद करने के बाद यह सभी यहां पर शरण लिए हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के अन्य जिलों में रहने वाले इन प्रवासियों की मदद करने के लिए सीआरपीएफ ने राशन मुहैया कराया था। इसके बाद इन्हें अब तक राशन मुहैया कराने की ओर पंचायत व अन्य किसी सामाजिक संस्थान की ओर से मदद नहीं मिली है। र्इंट भट्टी काम कराने वाले ठेकेदार ने खाना पकाने के लिए लकड़ी और एक बोरी चावल दिया है। इन सभी का ऐसे ही गुजर.बसर चल रहा है।

गांव जाकर करेंगे मनरेगा का काम
ईंट भट्टी का काम बंद कर अब यह सभी अपने गांव जाना चाहते हैं। द्वारिका प्रसाद का कहना है कि अब वह गांव में ही रोजी.रोटी की व्यवस्था करेंगे। सुना है कि शासन हमारे गांव में भी मनरेगा के तहत रोजगार मैया करा रही है। इसलिए हम गांव जाकर मनरेगा में मजदूरी का काम कर लेंगे।

खेती के सीजन में फसल और बाकी समय मजदूरी
दीपक कुमार आदित्य का कहना है कि वह सभी गांव में खेती.बाड़ी करते हैं और बाकी के समय मजदूरी का काम करते हैं। गांव में भी र्इंट बनाने का काम होता है, लेकिन रुपए नहीं बचते और आमदनी भी कम होती है। इसलिए हम सभी परिवार के साथ बस्तर में काम करने हर साल आते हैं। आने वाले साल तक सब ठीक रहा तो फिर से बस्तर काम करने आएंगे।

शासन की ओर से हमें अपने घर पहुंचाने की जाए व्यवस्था
मजदूर रवि ने बताया की लॉक डाउन के चलते हम सभी यहां पर फंसे हुए हैं। पत्नी और बच्चों के साथ यहां पर रह रहे हैं। रहने की तो यहां पर व्यवस्था है लेकिन शौचालय की व्यवस्था नहीं है। शासन से मांग है कि हम सभी को सही सलामत हमारे गांव पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।

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