मजदूर की मजबूरी, 6 दिन में 440 किमी चले, अभी भी 700 किमी और चलना है
फि रोज अंसारी अपने 22 साथियों के साथ आंध्रा के विजयवाड़ा में वेल्डिंग व गैस कटिंग का काम करते हैं। लॉकडाउन में काम बंद हो गया तो ठेकेदार ने भी नाता तोड़ लिया। जो कुछ बचत थी वह भी खत्म हो गई। जान बचाने वे अपने साथियों के साथ छह दिन पहले विजयवाड़ा से निकले। अब तक 440 किमी का पैदल सफर तय कर चुके हैं। अभी गांव पहुंचने के लिए 700 किमी बाकी है। वे कहते हैं कि चल लेंगे। बीच-बीच में कुछ भले लोग गाड़ी में बिठा भी लेते हैं। जिससे पैदल यह सफर कुछ कम भी हो जाता है। समाजसेवी बीच-बीच में खाने के लिए बिस्किट व पानी दे देते हैं इससे आगे और पैदल चलने का हौसला मिल जाता है।
परिवार तक संदेश भेज रहे जल्द वापस आ रहे हैं
झारखंड के ही राकेश बताते हैं। कि वह तेलंगाना के करीमनगर से अपने कुछ साथियों के साथ आ रहे हैं। वहां निर्माण कार्य में मजदूरी का काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से पूरा काम बंद हो गया। पैसे खत्म हुए तो वे पैदल ही निकल आए। कोंटा बॉर्डर में उन्हें रोक लिया गया। एक बस में जगह मिली। लेकिन उसने 3 हजार मांगे। परिवार से तीन लोग थे। तीनों ने पैसे जमा करके मुझे भेजा। वे पैसे नहीं होने की वजह से वहीं रूक गए। जाते समय साथियों ने कहा कि अगर वे नहीं पहुंच पाए तो परिवार की मदद भी जरूर करना और घर वालों को जरूर बताना की वे रास्तें में है जल्द वापस लौटेंगे।
विशाखापटनम से पैदल 300 किमी चल धनपुंजी पहुंचे अब ट्रेलर में जान का खतरा लिए जा रहे
छत्तीसगढ़ के ही मुंगेली व अन्य जगह के करीब 8 मजदूर विशाखापटन में काम करते थे। लॉकडाउन ने इनकी नौकरी छीन ली। विशाखापटन में ही हाल ही में हुए गैस कांड के बाद परिवार वाले परेशान हो गए। जल्द वापस आने को कहने लगे। उनकी बैचेनी को देखते हुए पैदल ही वहां से निकलना पड़ा। हफ्तेभर चलने के बाद धनपुंजी बॉर्डर पहुंचे। यहां एक ट्रेलर मिला। इसमें कुछ सामान जंजीर से बंधा हुआ था। पैसे थे नहीं फिर भी काफी मदद मांगने के बाद ट्रेलर ड्राइवर ने गाड़ी में पीछे बैठने की इजाजत दी। इस ट्रेलर में चारों ओर कोई सहारा नहीं है। जान खतरे में डालकर इसमें काफी संख्या में मजदूर एक जंजीर के सहारे को लेकर आगे जाने का जोखिम उठा रहे हैं।