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जवान की गला रेतकर हत्या मामले में साथियों ने RPF आईजी के सामने बयां किया दर्द

locationबस्तरPublished: Nov 10, 2017 10:07:51 pm

Submitted by:

ajay shrivastav

कुल्हाड़ी व बंडा से की थी हमले की कोशिश, जवानों ने दी थी इंस्पेक्टर को सूचना, पुलिस की नजर में जवान की गला रेत कर हत्या माओवादी वारदात नहीं।

आपबीती : इंस्पेक्टर ने जवानों से कहा था नहीं करना चाहते हो ड्यूटी इसलिए रच रहे ऐसी कहानी, फिर हो गया हादसा

आपबीती : इंस्पेक्टर ने जवानों से कहा था नहीं करना चाहते हो ड्यूटी इसलिए रच रहे ऐसी कहानी, फिर हो गया हादसा

आपबीती : इंस्पेक्टर ने जवानों से कहा था नहीं करना चाहते हो ड्यूटी इसलिए रच रहे ऐसी कहानी, फिर हो गया हादसा

दंतेवाड़ा.
बचेली स्टेशन के पास आरपीएफ के दो जवानों पर हुए हमले में एक की मौत हो गई और दूसरा जवान जिंदगी और मौत से वाल्टेयर के एक निजी अस्पताल में जूझ रहा है। किरन्दुल व दंतेवाड़ा स्टेशन में तैनात जवान बेहद दुखी हैं और अपने इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी से नाराज भी। जवान अनुशासन के चलते खुल कर कुछ बोलने को तैयार भी नहीं है। नाम नहीं छापने की तर्ज पर उन्होंने बताया कि साथ पी सम्बा शिवा को खोने का गम अब भी सता रहा है। आरपीएफ इंस्पेक्टर एचआर मीणा की दुत्कार से सभी परेशान हैं और जान जोखिम में डाल कर काम करने को मजबूर।
इंस्पेक्टर ने शिकायत को हलके में लिया
बीस दिन पहले 436 नंबर पोल के पास ग्रामीण वेश-भूषा के माओवादियों ने टंगिया-बंडा लेकर हमला करने की कोशिश की थी। यह बात जवानों ने इंस्पेक्टर एचआर मीणा को बताई। उन्होंने इस शिकायत को हलके में लिया। शिकायत के बाद जवानों को दुत्कारते कहा, ड्यूटी नहीं करना चाहते हो इसलिए कहानी रच रहे हो। इधर पुलिस अधिकारी इस वारदात को माओवादी वारदात नहीं मान रहे हैं। हालांकि जिस तरह से एक जवान का गला रेत कर हत्या की गई है और दूसरे पर वार हुआ है। यह माओवादी वारदात की ओर ही इशारा कर रहा है। इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए डीआईजी पी सुंदररराज बचेली पहुंचे थे। मामले की गहराई से जांच करने के लिए कहा है।
पिता के सपनों का हुआ अंतिम संस्कार
जिला विजयनगरम के पार्वतीपुरम में आरपीएफ के जवान पी सम्बा शिवा का अंतिम संस्कार हुआ। रेलवे के अधिकारी भी पहुंचे। इसके साथ ही पिता पेंटला गोनपा स्वामी और मां नारायण अम्मा के सपनों का भी अंतिम संस्कार हो गया। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। पिता राजमिस्त्री हैं।
इंस्पेक्टर ने जवानों से कहा था नहीं करना चाहते हो ड्यूटी इसलिए रच रहे ऐसी कहानी, फिर हो गया हादसा
पहली पोस्टिंग में साथ आए 29 जवान
2014 में कलकत्ता से ट्रेनिंग लेने के बाद आरपीएफ के 29 जवानों को सीधा माओवाद प्रभावित इलाके में भेजा गया। 2015 में एक साथ ट्रेनिंग कर आए इनको किरन्दुल हेड क्वार्टर में रखा गया। दो वर्ष पूरे हो चुके हंै। रेलवे प्रशासन के नियमों के मुताबिक जवानों का तबादला होना था। इसके लिए जवानों ने वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त को पत्र भी लिखा। इसके बाद भी तबादले नहीं हुए। दो सालों से निरंतर ड्यूटी करने से पहचान उजागर हो गई है।
सीनियर का कर दिया गया तबादला
दो साल पूरे होते ही किरन्दुल और दंतेवाड़ा पोस्ट से करीब एक दर्जन सीनियर का तबादला किया गया। अब कोई सीनियर उनके साथ नहीं है। दोनों जगह के लिए 19 पोस्ट सीनियर की खाली है। 10 किरन्दुल और 9 दंतेवाड़ा में है। अनुभवी साथियों का भी सहयोग नहीं मिला। जवान की हत्या के पीछे कई कहानी दर्द भरी जुबान बता रहे हैं। हथियार तो कभी मिले नहीं, हथियार साथ रखना भी खतरा है। पहचान खुलने से पहले से तबादला समय पर होना चहिए।
इंस्पेक्टर ने जवानों से कहा था नहीं करना चाहते हो ड्यूटी इसलिए रच रहे ऐसी कहानी, फिर हो गया हादसा
आईजी ने कहा था, मजदूर जैसे रहना
2015 में रेलवे आईजी ने साफ शब्दों में अधिकारी और जवानों से कहा था पहले अपनी सुरक्षा है। यह संवेदनशील इलाका है। यहां अपनी पहचान छुपा कर काम करना है। बाल बड़े हो या सेविंग न हो कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहां रेलवे पुलिस फोर्स हथियार के साथ ड्यूटी नहीं कर सकती है। इसलिए खुद की सुरक्षा के साथ ड्यूटी करनी है। इसके बाद भी इंस्पेक्टर एचआर मीणा नियम और अनुशासन का डंडा जवानों पर चलाते रहे।
भुवनेश्वर से किरन्दुल पहुंचे रेलवे के आईजी
रेलवे विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भुवनेश्वर से रेलवे के आईजी अतुल पाठक देर शाम किरन्दुल पहुंचे है। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली है। जवानों से मिले और उनकी बात सुनी। बता दें, प्रदेश में रेलवे पुलिस फोर्स पर पहली बार हमला हुआ है। अधिकारी भी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
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