देश के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमणा से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक इस स्थिति को लेकर चिंता जता चुके हैं, लेकिन जेलों के वर्षों से ऐसे हालात के बावजूद सुधार नजर होता नहीं दिख रहा है।
सिर्फ एक बेंच जितनी जगह इन जेलों का नजारा ऐसा होता है कि अस्पताल में रोगियों के परिजनों के बैठने को रखी गई बेंच जितनी जगह मिलती हैं, जिसमें बंदी चाहे तो आराम करे या बैठकर दिन गुजार लें। बंदी बैरक से बाहर कुछ ही घंटे रहते हैं।
सुधार के लिए दो ही विकल्प स्थिति में सुधार के दो ही विकल्प हैं, या तो जेलों में बंदी कम हों या नई बैरकों का निर्माण हो। विडंबना है कि सरकार न तो इनमें से किसी विकल्प को अपना रही है और न ही इस स्थिति को सुधारने में अपनी लाचारी को स्वीकार कर रही है।
31 जेलों में डेढ़ गुना से अधिक लोग दो गुना से अधिक भरी इन 10 जेलों सहित प्रदेश की 31 जेलें ऐसी हैं, जिनमें क्षमता से डेढ़ गुना लोग रखे जा रहे हैं।
इन जेलों में दो गुना से अधिक बंदी (30 जून 22 की स्थिति)
जेल———– क्षमता——– रखे गए लोग राजसमंद—— 55 ————168 नैनवा ———-10————- 27 फलौदी——— 17———— 41 सांचोर ———27———— 63 बालोतरा ——55 ————125
जेल———– क्षमता——– रखे गए लोग राजसमंद—— 55 ————168 नैनवा ———-10————- 27 फलौदी——— 17———— 41 सांचोर ———27———— 63 बालोतरा ——55 ————125
रामगंजमंडी —40———— 89 डूंगरपुर ——–70———— 153 नागौर——— 69———— 146 जालोर——– 36————- 76 गुलाबपुरा ——22———— 44