एंबुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सरकार के आला अधिकारियों और मंत्री स्तर पर कई बार वार्ता की लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन दिया जाता है और मांगों का समाधान नहीं होता है। इस बात से प्रदेश के सभी एंबुलेंस कर्मचारी खफा है और अब उन्होंने अपना विरोध जताते हुए बुधवार को सुबह 6 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा की है।
राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एम्बुलेंस कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 11 अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दे रखी थी, लेकिन परियोजना निदेशक अनिल पालीवाल ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया। वार्ताओं के दौर के चलते प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि अब सभी कर्मचारियों ने एकमत होकर हड़ताल जैसा कदम उठाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी अक्टूबर 2019 से अपनी मांगों को लेकर सघंर्षरत हैं, लेकिन आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला, जबकि एंबुलेंस कर्मचारी पूरे कोराना काल में प्रथम सिपाही बनकर प्रदेशवासियों की सेवा कर रहे हैं। उधर सरकार एंबुलेंस कर्मचारीयों की अनदेखी कर रही है। एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारीयों से पिछले 6 माह से लगातार वार्ताएं कर रहे हैं पर कोई परिणाम नहीं निकला।
उन्होंने बताया कि एंबुलेंस कर्मचारियों का ठेका दो दिन में समाप्त होने वाला है। एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि नया ठेका नई शर्तों के साथ हो। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाहनों में समय पर डीजल नहीं डलवाना, मरम्मत कार्य समय पर नहीं करवाना, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लफ्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध नहीं करवाना, एंबुलेंस कर्मचारीयों को बिना कारण कंपनी के अधिकारीयों की ओर से परेशान करना, खटारा एंबुलेंस वाहनों को जबदस्ती चलवाना व उनका डीजल एवरेज के लिए परेशान किया जाता है तथा वेतन वृद्धि रोकने से एंबुलेंस कर्मचारी खफा हैं। इसे देखते हुए हुए हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया है।