जयपुर

निर्दलीयों ने बदल दी राजस्थान की राजनीति, पांच चुनावों से प्रदेश में तीसरे नंबर पर खूंटा गाड़े खड़े हैं निर्दलीय

www.patrika.com/rajasthan-news/

जयपुरSep 21, 2018 / 03:40 am

rohit sharma

जयपुर ।
राजस्थान में एक दौर था जब जनता पार्टी या जनता दल समेत अन्य छोटे दल तीसरे मोर्चे के रूप में देखे जाते थे। लेकिन पिछले 25 बरस की चुनावी राजनीति में ‘थर्ड फ्रंट’ के अस्तित्व में ना आने से निर्दलीय ही इस स्थान को भरते आए हैं। जब-जब छोटे दलों को तीसरा मोर्चा खड़ा करने का मौका मिला तो वे निर्दलियों के मुकाबले कमतर ही साबित हुए। ये दल न तो निर्दलियों के मुकाबले अधिक सीटें हासिल कर पाए और न ही अपना जनाधार बढ़ा पाए। नतीजतन, हर चुनाव परिणाम के बाद या तो छोटे दल बड़े दलों के साथ जा मिले या फिर अगले चुनाव तक अस्तित्व के संघर्ष में ही लगे रहे।
सन 1993 के विधानसभा चुनावों में जनता दल के कमजोर पडऩे के बाद प्रदेश में कोई भी दल तीसरे मोर्चे के रूप में आज तक खड़ा नहीं हो पाया। बसपा और सीपीएम समेत कुछ अन्य दलों ने संघर्ष जरूर किया पर आखिरकार विफल ही रहे हैं।
 

जब राजपा के विधायक भाजपा से जुड़े

मोदी लहर में हुए चुनावों में वैसे तो भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिला। लेकिन तीसरा मोर्चा खड़े करने का दंभ भरने वाले राजपा (एनपीपी) के तत्कालीन मुखिया किरोड़ी लाल मीणा भाजपा के साथ जा मिले।

विकल्प नहीं

किसी भी पार्टी को स्थायित्व तभी मिलता है जब वह मतदाताओं को व्यावहारिक लगे। वोटर थर्ड फ्रंट को मतदान कर अपना वोट खराब नहीं करना चाहता। इसका लाभ निर्दलियों को मिलता है। -संजय कुमार, चुनाव विश्लेषक एवं निदेशक, लोकनीति

विधानसभा चुनाव – राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा सीटें और वोट प्रतिशत

2008 विधानसभा चुनाव
– कुल मतदान : 2,40,93,721(66.5%)
– 14 निर्दलीय विजयी हुए

दल सीटें वोट प्रतिशत
कांग्रेस 96 36.8
भाजप 78 34.3
निर्दलीय 14 15.0
बसपा 06 7.6
सीपीएम 03 1.6
एलएसपी 01 0.9
एसपी 01 0.8
जद(यू) 01 0.4
अन्य 00 2.6

2013 विधानसभा चुनाव
– कुल मतदान : 3,02,70,703 (74.3%)
– 09 निर्दलीय तीसरे पायदान पर रहे। अन्य दलों ने निर्दलियों से ज्यादा 09 सीटें हासिल की

दल सीटें वोट प्रतिशत
भाजपा 163 46
कांग्रेस 21 33.7
निर्दलीय 07 8.4
एनपीपी 04 4.3
बसपा 03 3.4
जमींदारा 02 1.0
अन्य 00 3.2
 
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.