मामले के गुण-अवगुण को नहीं देखा जाता है, बाल अपचारी के बेहतर भविष्य के लिए सुधार उद्देश्य होता है। अपराधियों के संपर्क में न आए, इसके लिए उसे उपयुक्त संरक्षक के सुपुर्द किया जाता है। 15 वर्ष से कम आयु के बाल अपचारियों को अधिकतम तीन वर्ष तक ही सुधार गृह में रखा जा सकता है। ऐसे मामलों में जमानत कुछ परिस्थितियों के आधार पर कभी भी हो जाती है। जमानत नहीं होती है तो प्रार्थी जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील कर सकता है।
(जैसा रालसा सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन व अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया)
थानाप्रभारी बृजमोहन कविया ने बताया कि घटनाक्रम में शामिल विधि से विरूद्ध संघर्षरत बालिका को शनिवार को किशोर न्याय बोर्ड की सदस्या सुषमा तंवर के यहां पेश किया गया, जहां से उसे 24 दिसम्बर तक बाल सुधार गृह भेजा।
ये था ममला चाकसू के बड़ली गांव में 13 साल की पायल की हत्या कर दी गई। पुलिस पड़ताल में सामने आया कि पायल की हत्या करने वाली उसी की कक्षा की छात्रा थी। कक्षा में परीक्षा के दौरान पेन चोरी को लेकर दोनों सहेलियों में झगड़ा हो गया था। उसी दिन शाम को पायल बहाना बनाकर घर से निकली और सीधे सहेली के घर पहुंची जिससे कक्षा में झगड़ा हुआ था। सहेली के मां—बाप घर पर नहीं थे। दोनों में कहासुनी हुई। पायल ने पास में रखा सरिया उठाकर उसके मारा तो आरोपी छात्रा ने उससे सरिया छीन लिया। उसी सरिया से ताबड़तोड़ वार कर पायल की हत्या कर दी थी। परिजनों के घर आने पर हत्या करने वाली किशोरी ने सारी बात बताई। परिजनों पायल की हत्या साक्ष्य मिटा दिए और पायल के शव को बोरे में रख फेंक दिया था।