ऐसे खुला मामला
गौरतलब है कि प्रार्थिया रजिया सुल्तान ने अपने बकाया वेतन के भुगतान को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान सामने आया कि 2010 में संविदा के आधार पर 3500 शिक्षकों के पदों पर भर्ती हुई है। इसमें तत्कालीन मदरसा बोर्ड सचिव ने 128 अपात्र लोगों को नियुक्त कर दिया। मामले का खुलासा होने पर विभाग ने जांच के लिए अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी बनाई। जिसमें अपनी रिपोर्ट में 128 अभ्यर्थियों को अपात्र पाया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया। लेकिन मदरसा बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।