जमानत याचिका में शाहबाज के अधिवक्ता निशांत व्यास ने कहा कि विशेष न्यायालय ने बम धमाकों को लेकर चले आठ मामलों में दोषमुक्त कर दिया था। इसके छह माह बाद जांच एजेन्सी ने जिंदा मिले बम को लेकर आरोप पत्र पेश किया है। आरोप पत्र में भी पुराने आठ मामलों के तथ्यों को ही दोहराया गया है। जिस पर कोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता से पूछा कि ट्रायल कोर्ट ने करीबन 12 साल तक सुनवाई कर फैसला किया।
याचिकाकर्ता को दोषमुक्त करने के भी छह माह की देरी से आरोप पत्र पेश करने का क्या कारण है। सरकारी वकील देरी का जवाब नहीं दे पाए। जिस पर न्यायाधीश पंकज भंडारी ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शहर में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। जिसमें 71 लोगों की मौत हो गई थी। जांच एजेंसियों को चांदपोल मंदिर के पास एक बम जिंदा मिला था। पुलिस ने सितंबर 2008 में शाहबाज हुसैन को घटना की जिम्मेदारी लेते हुए ई-मेल भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
विशेष अदालत ने बम धमाकों को लेकर दिसंबर 2019 को चार अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाते हुए शाहबाज को बरी कर दिया था। इसके बाद जांच एजेन्सी ने जिंदा मिले बम को लेकर शाहबाज सहित अन्य के खिलाफ अलग से आरोप पत्र पेश किया है।