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13 वर्षीय छात्र ने अपहरणकर्ताओं को दिया चकमा, ट्रेन में बैठ आ गया जयपुर

locationजयपुरPublished: Aug 24, 2017 12:50:00 pm

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dinesh

छात्र विजय 21 अगस्त को सुबह पुष्कर में घर से निकला था। तभी कार सवार 3 युवक उसे कार में डाल अजमेर ले गए…

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13 वर्षीय छात्र ने अपहरणकर्ताओं को दिया चकमा, ट्रेन में बैठ आ गया जयपुर
पुष्कर। पुष्कर से दो दिन पहले अगवा कर मथुरा ले जाए गए छात्र विजयप्रताप सिंह अपहरणकर्ताओं को चकमा देकर जयपुर पहुंचा, जहां से रेलवे पुलिस ने परिजनों को बुलाकर उन्हें सौंप दिया। नागौर के थांवला में पढऩे वाले 13 वर्षीय छात्र विजय ने बताया कि 21 अगस्त को सुबह वह पुष्कर में घर से निकला था। तभी जाट विश्राम स्थली के पास कार सवार 3 युवक उसे कार में डाल अजमेर ले गए। वहां बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। वह होश में आया तो खुद को मथुरा में पाया। वहां उसे कार में छोड़ अपहर्ता अन्यत्र बैठे थे, तभी मौका पाकर वह कार से निकल भागा। ट्रेन में बैठकर जयपुर पहुंच गया। उधर, विजय की मां संतोषदेवी ने अपहरण की सूचना दर्ज कराई थी। छात्र विजय ने तीनों अपहर्ताओं का पुलिस को हुलिया बताया है। उसका कहना है कि तीन में से एक को मुश्ताक कहकर बुलाया जा रहा था।
बाबा रामदेव का मेला शुरू
जोधपुर/रामदेवरा। मन में अगाध आस्था और हाथों में रंग-बिरंगी ध्वजा लिए लाखों श्रद्धालु बाबा रामदेव के दर्शनों को उमड़े। पूरा मारवाड़ ही मानो बाबा के रंग में रंग गया हो। बुधवार को मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के साथ बाबा रामदेव का 633वां मेला शुरू हुआ। तडक़े साढ़े तीन बजे से शुरू हुई दर्शनार्थियों की कतारें देर रात तक लगी रही। इस दौरान करीब पांच कतारें मंदिर के मुख्य द्वार से तीन किमी दूर तक पहुंच गई। करीब ३ लाख दर्शनार्थियों को आठ से दस घंटे इंतजार के बाद दर्शन किए। इससे पहले जोधपुर के निकट मसूरिया स्थित बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ के समाधि स्थल पर दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ा। यहीं से श्रद्धालु बाबा रामदेव के दर्शनों को जाते हैं।
बांसवाड़ा में देर रात मकान ढहा…
बांसवाड़ा. शहर के कुशलबाग के सामने स्थित एक मकान की कुछ दिन पूर्व खोदी गई नींव के कारण निकट ही ऊ परी मंजिल का एक अन्य मकान बुधवार रात भरभराकर गिर गया। इससे मकान के नीचे संचालित दुकानें सामान सहित जमींदोज हो गई और मकान जमीन पर आ टिका। गनीमत यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। मकान में दंपती थे, जिन्हें हल्की खरोंचें आई हैं। बच्चे गणपति की मूर्ति लेने निकले थे, जिससे वे बच गए।
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