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जेके लोन अस्पताल का हाल, जिन नवजात को सांसों की दरकार, उन्हें आईसीयू से इनकार

locationजयपुरPublished: Aug 13, 2017 10:00:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

जेके लोन में करीब 20 फीसदी शिशुओं को तत्काल आईसीयू केयर और वेंटिलेटर नहीं मिल पाते।

JK Lon Hospital
जयपुर। केन्द्र और राज्य सरकार भले ही नवजात शिशुओं की मौत रोकने और शिशु मृत्यु दर घटाने के प्रयास कर रही हो, लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल जेके लोन में भी सभी नवजात व अन्य शिशुओं का जीवन सुरक्षित नहीं है। 5 साल में यहां जीवन रक्षक प्रणाली आईसीयू, वेंटिलेटर की संख्या में लगभग दोगुनी वृद्धि के बावजूद करीब 20 फीसदी शिशुओं को तत्काल आईसीयू केयर और वेंटिलेटर नहीं मिल पाते। इसके लिए उन्हें सांसों का जोखिम उठा इंतजार या सिफारिश के लिए दौड़ना पड़ता है।
शिशु मृत्यु दर : सबसे खराब 4 राज्यों में
शिशु मृत्यु दर के मामले में राजस्थान अब भी निचले पायदान पर है। मृत्यु दर के अंकों में लगातार गिरावट के बावजूद प्रदेश का स्थान नीचे से चौथा है। एसआरएस 2015 के अनुसार प्रदेश में जन्म के 28 दिन के भीतर मौत वाले शिशुओं की नियोनेटल मोर्टेलिटी रेट प्रति हजार जीवित जन्म पर 30 है। जबकि अन्य तीनों राज्यों में यह अंक 35, 34 और 31 है। पांच साल पहले वर्ष 2011 में राजस्थान में यह अंक 37 था।
इन जटिलताओं के मामले यहां ज्यादा

प्री मेच्योर जन्म लेने वाले बच्चे
जन्मजात शारीरिक विकृतियों वाले बच्चे
पीलिया के शिकार
सेप्टीसीमिया के शिकार
कम वजन के जन्म लेने वाले शिशु

650 पलंग क्षमता का है जेके लोन अस्पताल
125 शिशुओं को आईसीयू की जरूरत होती है, लेकिन करना पड़ता है इंतजार
80000 से ज्यादा शिशुओं की मौत हो रही है प्रदेश में हर साल- केन्द्र सरकार के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के अनुसार
15000 बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं हर साल अस्पताल में

650 बच्चे उपचार के लिए भर्ती रहते हैं यहां हर समय

82 आईसीयू पलंग नए

02 साल पहले शुरू हुए यहां
– जेके लोन इस समय प्रदेश का सबसे सुविधा युक्त शिशु रोग अस्पताल है। आईसीयू यहां हर समय फुल रहते हैं। कभी तत्काल नहीं मिल पाए तो प्राथमिकता के आधार पर खाली होते ही दे दिया जाता है। तब तक संबंधित शिशु को पूरी केयर के साथ रखा जाता है।
डॉ. अशोक गुप्ता, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल।
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