ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि ज्योतिषिय दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। शरद् विषुव वह समय-बिंदु है जब सूर्य उष्णकटिबंधीय राशि चक्र के माध्यम से अपने पथ में विपरीत संतुलन बिंदु तक पहुंचता है। इस प्रावस्था में भी दिन और रात की लम्बाई समान हो जाती है। यह विषुव 23 सितम्बर के आस-पास होता है। इस विषुव में सूर्य तुला राशि, जोकि मेष राशि के विपरीत है, के पहले अंश में प्रवेश करता है। यह समय लगभग 22—23 सितंबर को आता है।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार यह योग या स्थिति तब बनती है जब सूर्य कन्या राशि से तुला राशि में संक्रमण करता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार मान्यता है कि शरद विषुव में शक्तिपात होता है। यह पृथ्वी पर दैवीय अनुग्रह का दिन है जिसका विशेष प्रभाव होता है। वृहत संहिता में भी उल्लेख है कि सूर्य के परिवर्तनों का मनुष्य सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
शरद्कालीन सम्पात 22 सितम्बर 2020 मंगलवार
शरद्कालीन सम्पात समय – शाम 07:00 बजे
शरद्कालीन सम्पात सूर्योदय – सुबह 06:10 बजे
शरद्कालीन सम्पात सूर्यास्त – शाम 06:17 बजे
शरद्कालीन सम्पात दिन की अवधि – 12 घंटे 07 मिनट्स 53 सेकेंड
शरद्कालीन सम्पात पिछले दिन की अवधि – 12 घंटे 09 मिनट्स 35 सेकेंड
शरद्कालीन सम्पात आगामी दिन की अवधि – 12 घंटे 06 मिनट्स 11 सेकेंड