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ठंडे बस्ते से निकली पारदर्शिता सोसायटी, 29 हजार से अधिक वीआरपी होंगे चयनित

locationजयपुरPublished: Aug 13, 2020 07:57:58 pm

Submitted by:

Pankaj Chaturvedi

— मनरेगा समेत पांच बड़ी योजनाओं की आॅडिट करेगी सोसायटी

ठंडे बस्ते से निकली पारदर्शिता सोसायटी, 29 हजार से अधिक वीआरपी होंगे चयनित

ठंडे बस्ते से निकली पारदर्शिता सोसायटी, 29 हजार से अधिक वीआरपी होंगे चयनित

जयपुर. कोरोना काल में ठंडे बस्ते में गई मनरेगा समेत ग्रामीण विकास की पांच बड़ी योजनाओं में पारदर्शिता की कवायद अब फिर से रफ्तार पकड़ेगी। चार माह के ब्रेक के बाद सरकार इन योजनाओं के स्वतंत्र एजेंसी से सामाजिक अंकेक्षण के लिए प्रस्तावित सामाजिक लेेखा परीक्षा, जवाबदेही एवं पारदर्शिता सोसायटी के गठन पर आगे बढ़ी है। सोसायटी के लिए जल्द ही राज्य स्तर से गांव तक रिसोर्स पर्सन का चयनित होंगे। हाल ही सरकार ने सोसायटी को सूचना का अधिकार कानून के तहत लाकर लोक सूचना अधिकारी की घोषणा की है। सोशल आॅडिट के लिए प्रदेश के गांवों में 29500 विलेज रिसोर्स पर्सन, 1649 ब्लॉक रिसोर्स पर्सन और जिलों में 99 डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन चयनित किए जाने हैं। चयन की नियम शर्तें सरकार ने मार्च में जारी की थी, लेकिन इसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते कवायद रुक गई थी।
इन योजनाओं का हो सकेगा अंकेक्षण

— महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना
— प्रधानमंत्री आवास योजना—ग्रामीण
— 14वां वित्त् आयोग
— स्वच्छ भारत मिशन—ग्रामीण
— राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम


भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के लिए विभाग जिम्मेदार
सोसायटी की आॅडिट में यदि कोई अनियमित राशि की वसूली बनती है, तो इसकी वसूली कर राजकोष में जमा कराना और कानूनी कार्रवाई करना संबंधित विभाग की जिम्मेदारी होगी। ऐसे ही आॅडिट के सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त हुए तो सोसायटी जिम्मेदार होगी। सरकार ने रूल्स आॅफ बिजनेस में यह प्रावधान कर दिया है।
पत्रिका व्यू: शहरी योजनाएं भी हों शामिल

मनरेगा एक्ट में प्रावधान होने के कारण सरकार ने गांवों में संचालित होने वाली पांच योजनाओं को सोसायटी की आॅडिट में शामिल कर लिया, लेकिन अजीब सा सवाल यह है कि क्या सरकार सिर्फ ग्रामीण योजनाओं में ही भ्रष्टाचार की आशंका मानती है? शहरों में आधारभूत ढ़ांचा विकास, खाद्य सुरक्षा, सड़क, पानी, बिजली की परियोजनाएं संचालित होती हैं। आए दिन इन शहरी योजनाओं में भी भ्रष्टाचार सामने आता रहता है। ऐसे में जरूरी है तो इन योजनाओं को भी सोसायटी के कार्यक्षेत्र में शामिल किया जाए। मुख्य सचिव स्वयं सोसायटी की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष हैं। ऐसे में इस निकाय की बैठक में यदि अन्य योजनाओं की आॅडिट की संभावना पर भी मंथन किया जाए तो यह भ्रष्टाचार पर प्रभावी लगाम की दिशा में कदम साबित होगा।

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