बड़ी सुविधाओं की बात करें तो प्रदेश में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना और केडेवर अंग प्रत्यारोपण का कार्य धरातल पर नजर आया। वहीं, प्रदेश में निचले स्तर पर कुछ स्वास्थ्य केंद्रों को निजी जन सहभागिता के आधार पर एेसी संस्थाओं को दिया गया जिन्होंने सरकार से कुछ अतिरिक्त लिए बिना केंद्रों का संचालन भी किया।
प्रदेश में एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर सहित प्रदेश के अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में सुविधाओं के लिहाज से कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। मेडिकल कॉलेजों में फेकल्टी की कमी को दूर करने की बात हो या चिकित्सीय उपकरणों और अन्य सुविधाओं के कारण लंबी कतारों को दूर करने के प्रयास हों, सरकार कुछ ज्यादा काम नहीं कर पाई।
नि:शुल्क दवा की चाल हुई धीमी
पिछली सरकार के ड्रीम प्रोजक्ट और जनमानस के मन को भाने वाली नि:शुल्क दवा और जांच योजना पर पिछले तीन साल से प्रगति नहीं के बराबर हुई है। इस अवधि में सरकार ने बार-बार योजना का बजट बढ़ाने का दावा तो किया लेकिन दवाईयों और जांचों की संख्या सहित इनके केंद्रों पर मरीजों को निराशा ही हाथ लगी।
आठ मेडिकल कॉलेज : बड़ी चुनौती
प्रदेश में डाक्टरों की कमी पूरी करने के लिए पिछली कांग्रेस के समय ही आठ नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू हो गई थी। तीन साल पूर्व चुनी गई मौजूदा सरकार ने इस दिशा में काम आगे तो बढ़ाया लेकिन अभी तक आठ में से एक भी मेडिकल कॉलेज संचालित नहीं हो पाया है। अब दावा यह है कि जुलाई 2017 से शुरू हो रहे नए सत्र से सभी मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएंगे।
यहां समस्या ये है कि प्रदेश में पहले से चल रहे मेडिकल कॉलेजों में फेकल्टी की भारी कमी है। एेसे में इन नए कॉलेजों के लिए प्रर्याप्त फेकल्टी की व्यवस्था कैसे होगी इसका ठोस रोडमैप तैयार नहीं है। हालांकि डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने के बाद मामूली राहत तो मिली है लेकिन फिर भी एमसीआई के मापदंडों के अनुरूप फेकल्टी नहीं है।
कैंसर संस्थान दूर की कौड़ी
सरकार गठन के कुछ समय बाद ही राज्य में विश्वस्तरीय स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की घोषणा की गई थी लेकिन अभी तक इसे शुरू करने में तीन से चार साल लग सकते हैं। एेसे में 60 माह का पूरा कार्यकाल इस घोषणा को पूरा किए बिना गुजर जाएगा।
राज्य सरकार के तीन साल सभी विभागों में बेहतरीन उपलब्धियों वाले रहे हैं। चिकित्सा विभाग का कार्यभार अभी संभाला ही है। अगले कुछ दिन में सभी योजनाओं का अध्ययन और विश्लेषण कर इसे और नई ऊंचाईयों तक ले जाएंगे।
– कालीचरण सराफ, चिकित्सा मंत्री।
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