ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि उपच्छाया ग्रहण के संबंध में शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इसका सूतक नहीं लगता। यह सामान्य खगोलीय घटना भर है जिसका धार्मिक नजरिए से कोई महत्व नहीं होता। उपच्छाया ग्रहण के दौरान चंद्रमा के सामने होगी धूल की सी परत दिखाई देगी और देश के कुछ हिस्सों में ही यह आंशिक रूप से नजर आएगा।
यह साल का आखिरी चंद्रग्रहण रहेगा। उत्तर—पूर्वी और मध्यपूर्वी राज्यों में ये चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 1:04 बजे इस ग्रहण का छाया से पहला स्पर्श होगा। मध्यान्ह 3:13 पर परम ग्रास चंद्रग्रहण होगा। शाम 5:22 पर उपच्छाया से आखिरी स्पर्श होगा। 5 जुलाई को भी ऐसा ही उपच्छाया चंद्रग्रहण था जोकि भारत में नहीं दिखा था।
कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण सहित कई विशेष संयोग बने हैं। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा है जोकि कार्तिक स्नान का अंतिम दिन है। दान पुण्य के लिहाज से इस दिन का बहुत महत्व होता है। सोमवार को वर्धमान योग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं जिससे पूर्णिमा औऱ खास हो गई है। ग्रहण के बावजूद सभी मांगलिक और धार्मिक काम यथावत किए जा सकेंगे।