कम्पनी ने एमओयू की शर्तों का उल्लंघन कर क्लेम अटकाए हैं। सहकारी बैंकों से ऋण लेने वाले 18 लाख किसानों का बीमा किया था। यह बीमा एक निजी कम्पनी से कराया गया था। कम्पनी ने एमओयू की शर्ते नहीं मानी। किसानों का बीमा दावों का निस्तारण पन्द्रह दिन में करने की शर्त थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एमओयू की निगरानी के लिए जिम्मेदार सहकारी बैंक भी कम्पनी के इस कारनामे पर चुप्पी साधे रहे। इसी का नतीजा रहा कि पन्द्रह दिन तो दूर महीनों से परिवार के मुखिया की मौत के बाद भी गरीब किसान आर्थिक मदद के इंतजार में बैठे हैं। अब अपेक्स बैंक ने कम्पनी को कानूनी नोटिस दिया है।
बीमा के प्रीमियम के रूप में कम्पनी को 30 करोड़ रुपए दिए थे। हालांकि कम्पनी ने एक भी किसान को क्लेम नहीं दिया। प्रति किसान दस लाख रुपए का बीमा था। करीब तीन सौ किसान परिवार क्लेम कर चुके हैं। अपेक्स बैंक के अनुसार सभी क्लेम लम्बित हैं। इस तरह तीन सौ परिवारों को तीस करोड़ रुपए मिलने हैं। बीमा अप्रेल 2018 से मार्च 2019 तक के बीच किया गया है। इससे साफ है कि अभी क्लेम के कई मामले और आएंगे। ऐसे में किसानों को उनका हक मिलना मुश्किल लग रहा है। हालांकि कम्पनी को अपेक्स बैंक ने कानूनी नोटिस देकर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। इसके अलावा आइआरडीए को शिकायत कर कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है।