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खाने से पहले सिर्फ 36 फीसदी परिवार ही साबुन से धोते हैं हाथ

locationजयपुरPublished: Mar 26, 2020 01:17:09 am

Submitted by:

anoop singh

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े

खाने से पहले सिर्फ 36 फीसदी परिवार ही साबुन से धोते हैं हाथ

खाने से पहले सिर्फ 36 फीसदी परिवार ही साबुन से धोते हैं हाथ

नई दिल्ली.
देश में यों तो खाने से पहले हाथ धोने का चलन 99 फीसदी परिवारों में है, लेकिन हाथ धोते हुए साबुन का भी इस्तेमाल करने वाले परिवार महज 35.8 फीसदी ही हैं। हाथों की स्वच्छता को लेकर जागरूकता का इतना निन स्तर निश्चित रूप से कोरोना से निपटने में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। कोरोना को मात देने में साबुन से हाथ धोना मूलभूत सुरक्षात्मक कदम के रूप में सामने आया है। तमाम सरकारें और विशेषज्ञ इसे अधिक से अधिक रोजमर्रा की आदत में शुमार कर अपनाने पर जोर दे रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े बताते हैं कि हाथ धोने में साबुन के इस्तेमाल को लेकर लोगों को सजग होना होगा। सर्वे में 63,736 ग्रामीण और 43,102 शहरी परिवार शामिल किए गए थे। इसके नतीजे ड्रिंङ्क्षकग वॉटर, सैनिटेशन, हाइजीन एंड हाउसिंग कंडीशन रिपोर्ट के जरिए सार्वजनिक किए गए। रिपोर्ट बताती है कि खाने से पहले साबुन-पानी से हाथ धोने को लेकर शहरी-ग्रामीण इलाकों में काफी अंतर है। एनएसओ ने यह सर्वे जुलाई-दिसंबर 2018 के दौरान किया था।
शहरों में जागरूकता का प्रतिशत 56
शहरी इलाकों में जहां 56 फीसदी परिवार ही भोजन से पहले साबुन और पानी से हाथ धोते हैं। ग्रामीण इलाकों में इसकी दर मात्र 25.3 फीसदी ही है। झारखंड में जागरूकता का स्तर बेहद कम (मात्र 10.6) है। वहीं बिहार (14.3), ओडिशा (15.1), उत्तर प्रदेश (23.8) और तमिलनाडु (27.3) शामिल हैं। सिक्किम में लोग काफी सजग (87.1) नजर आते हैं। अधिक सजग राज्यों में सिक्किम के बाद हिमाचल प्रदेश (86.2), चंडीगढ़ (81), पंजाब (77.5) और दिल्ली (73.5) आते हैं।
70 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में पानी का ही इस्तेमाल
ग्रामीण क्षेत्रों में 69.9फीसदी, शहरी क्षेत्रों में 42.1फीसदी परिवार खाने से पहले हाथ धोने के लिए सिर्फ पानी इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण में 3.5फीसदी व शहरी क्षेत्र में 1.3फीसदी परिवार राख, मिट्टी से हाथ धोते हैं।
शौच के बाद साबुन से 74 फीसदी धोते हैं हाथ
शौच के बाद हाथ होते हुए साबुन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों की दर 74.1फीसदी है। इसमें ग्रामीण इलाकों की भागीदारी 68.8 फीसदीऔर शहरी इलाकों की भागीदारी 88.3फीसदी है।

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