कूल्हे के जोड़ों की चाल खत्म हो गई .. जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. धीरज दुबे ने बताया कि अलवर की 35 वर्षीय शालिनी को पिछले 20 वर्षों से एंकालूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की गंभीर बीमारी थी। इससे मरीज के कूल्हे के दोनों जोड़ों की चाल बिल्कुल खत्म हो गई थी और वह एक अवस्था में ही जड़ हो गए। इस समस्या के कारण मरीज न तो ढंग से चल-फिर पाती थी और न ही दैनिक कार्य कर पा रही थी। जोड़ों की संरचना में जटिलताएं होने के कारण कई सेंटर्स पर दिखाने के बावजूद मरीज को कोई राहत नही मिल रही थी।
सर्जरी में थे बहुत जोखिम .. मरीज की सर्जरी में काफी जोखिम था। मरीज को ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन टेबल पर सही स्थिति में लाना ही मुश्किल था। कूल्हों में फिर से चाल लाने के लिए उसकी संरचना की सघन जांच की गई। ऐसे में पहले डॉक्टर्स ने 3डी प्रिंटिंग के जरिए कूल्हों की संरचना की प्रतिकृति बनाई और सर्जरी प्लान की। सर्जरी में डबल विंडो तकनीक से हिप जॉइंट्स को खोला गया और मरीज को नए इंप्लांट लगाए गए। इसके अलावा सर्जरी के दौरान इंट्रा ऑपरेटिव कंटीनियस सेचुरेशन तकनीक से मरीज के शरीर में रक्त प्रवाह पर लगातार नजर रखी गई क्योंकि सर्जरी में खून की नसों में प्रवाह बंद होने का पूरा खतरा था। ऐसा इसीलिए था क्योंकि काफी समय से पैरों की एक ही स्थिति रहने के कारण मरीज की पैर की नसें संकुचित हो गई थी।
सर्जरी वाले दिन ही चलने लगीं .. सर्जरी में सारी सावधानियां रखने के बाद उसी दिन मरीज ने चलना भी शुरू कर दिया। डॉ. धीरज ने बताया कि उसे चलने में कोई समस्या नहीं हुई और मरीज अब सामान्य जीवन व्यतीत कर पा रही है। सर्जरी में इस्तेमाल की गई तकनीकों का राजस्थान में पहली बार सफल प्रयोग हुआ है।