इस तकनीक से मुख्य रूप से मुंह का कैंसर, चोट से क्षतिग्रस्त चेहरे की हड्डियां व चेहरे की जन्मजात विकृतियों को दूर करने में सफलता मिली है। इस तकनीक से जहां ऑपरेशन की प्लानिंग करने में आसानी होती है वहीं ऑपरेशन की सफलता, समय की बचत व व्यक्ति के चेहरे की सुंदरता का फायदा मिला।
सवाई मानसिंह अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी को लेकर लोगों और मेडिकल फील्ड में व्याप्त भ्रांतियां अब मिटने लगी है। क्योंकि 3 डी मेडिकल प्रिंटिग टेक्नीक इस फील्ड में क्रांति ला रही है। इस तकनीक से अब किसी भी व्यक्ति का खराब हुआ चेहरा हुबहू पहले जैसा बन सकता है। इस तकनीक से शरीर के किसी भी हिस्से की खराब हड्डी को हटाकर बिना किसी परेशानी के ठीक किया जा सकता है। 3 डी तकनीक ने पोस्ट ऑपरेटिव प्लानिंग और सर्जरी के लिए नए आयाम खोल दिए है। अभी तक मेडिकल संस्थानों के पास 3 डी प्रिंटर नहीं है और न ही सभी में इस तकनीक का इस्तेमाल करने की क्षमता है।
3 डी प्रिंटिंग तकनीक को अपनाने के लिए 3 डी मॉडल तैयार किया जाता है। यह मॉडल मरीज के सीटी स्केन के आधार पर तैयार किया जाता है। पहले यह मॉडल मुम्बई से बनवाया जाता था, लेकिन अब यह सुविधा जयपुर में भी उपलब्ध हो गई है।
साधारण सर्जरी के बाद वहां निशान रह जाता था। मगर इस नई तकनीक से सर्जरी से हुए गड्ढों को भरने के लिए 3.डी प्रिंटिंग से डिजाइन की गई हड्डियों और मॉडल का उपयोग करके हूबहू रूप दिया जा सकता है।
सर्जरी के क्षेत्र में 3 डी प्रिंटिंग तकनीक भारत में 2014 में आ गई थी। प्रचार नहीं हो पाने के कारण ज्यादातर सर्जन्स को इसकी जानकारी नहीं हो पाई। इसी कारण इसका इस्तेमाल उतने बड़े स्तर पर नहीं हो पाया। जिन लोगों को दुर्घटना, ट्यूमर व कैंसर के कारण सिर, चेहरे या जबड़े आदि की सर्जरी करानी पड़ती है, उनमें यह काफी कारगर साबित हुई है।