प्रदेश सरकार अपने चार साल पूरे होने का जश्न मनाने के साथ-साथ सरकार के मंत्री अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। साथ ही बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं, ऐसे में राजस्थान पत्रिका पहुंची जनता के बीच, सरकार के काम-काज को लेकर प्रदेश में पत्रिका के प्रतिनिधियों ने जनता से जुड़े मुद्दों पर बात की तो हकिकत दावों से कोसो दूर नजर आई। तो वहीं राजस्थान पत्रिका ने 4 साल के कामकाज को 14 सवालों के जरिए परखने की कोशिश की।
– इस दौरान सर्वे में पहला सवाल था कि आपके यहां इन चार साल में क्या काम हुआ… 46 फीसदी लोगों ने माना कि उनके यहां पीने का पानी आया। जबकि 40 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकारी स्कूल खुला या उसकी स्थिति में सुधार हुआ। तो वहीं 40 फीसदी मानते हैं कि उनके क्षेत्र में सड़कों की स्थिति सुधरी। जबकि 35 फीसदी लोगों का कहना कि उनके आस-पास अस्पताल के हाल सुधरे हैं। सरकार भ्रष्टाचार को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है। सरकार का कहना है कि इस कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर नकेल कसी गई है। लेकिन प्रदेश की जनता की राय सरकार से बिलकुल अलग ही दिखी।
– सर्वे में दूसरा सवाल था क्या आपको लगता है इस सरकार के कामकाज के दौरान कम हुआ भ्रष्टाचार… इस दौरान महज 15 फीसदी लोग ही मानते हैं कि भ्रष्टाचार कम हुआ है, जबकि 29 फीसदी मानते हैं कि केवल बातें हैं, हकीकत में कुछ फर्क नही पड़ा। वहीं 29 फीसदी लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार जरा भी कम नही हुआ। इतना ही नहीं 27 फीसदी लोगों की राय में भ्रष्टाचार कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ गया है।
– सरकार का कहना है कि चार साल में काम तेज गति से हुआ है लेकिन… सिर्फ 18 फीसदी लोगों ही मानते हैं कि इस सरकार के कार्यकाल में सरकारी कामकाज तेज गति से हुए हैं। जबकि 35 लोग ऐसे हैं जो मानते हैं कि सरकारी कामकाज की धीमी गति बनी हुई है। तो वहीं 28 फीसदी जनता की मानें तो सरकारी कामकाज की गति रुक गई है। इस दौरान 19 फीसदी लोग कुछ भी नहीं कहने की स्थिति में नहीं दिखें।
– पिछले 4 साल में सरकार के साथ अधिकारी भी जनता से नजर आए दूर… सर्वे में 38 फीसदी लोगों का कहना है कि पिछले चार साल में सरकारी अधिकारियों के रवैए में काफी बेरुखी बढ़ी है, तो 15 फीसदी लोग ऐसा मानते हैं कि विनम्रता आई है। जबकि 33 फीसदी मानते हैं कि अधिकारियों के रवैये में कोई फर्क नजर नहीं आया। वहीं 13 फसदी लोग इस सवाल को लेकर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं दिखें।
अगर इस सर्वे के नतीजे पर गौर करें तो प्रदेश के बड़े हिस्से का मानना है कि वोट लेकर उनके नेताजी कहां गायब हो गए, पता ही नहीं चला। और अब प्रेस कॉन्फ्रेंसेज के जरिए मंत्री अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो जाहिर सी बात है अब फिर से पार्टी आलाकमान अपने विधायकों को कॉन्स्टीएंसी में वक्त बिताने का आदेश देगा। पर सवाल ये है कि नाराज बैठी जनता से अब चार साल बाद ये सत्तासीन जनप्रतिनिधि कैसे नजर मिलाएंगे। कम से कम सूबे की अवामम के बीच हुआ ये सर्वे तो यही सवाल कर रहा है। (ब्यूरो रिपोर्ट. पत्रिका टीवी)