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इस लाडो की जिद को सलाम, खुद के साथ उम्रदराज पिता को भी दिलाई सरकारी नौकरी

locationजयपुरPublished: Oct 06, 2017 05:07:10 pm

बेटी की जिद ने अपने पिता को ना केवल पढ़ने के लिए मजबूर किया, बल्कि उसके बुंदल इरादों का ही नतीजा था, कि पिता को सरकारी नौकरी भी मिल गई।

father with daughter
सफलता की ये कहानी एक बाप की मेहनत और बेटी के जिद के कारण ही पूरी हो सकी। कहते हैं कि अगर एक बेटी पढ़ाई-लिखाई कर लेती है तो उसके साथ-साथ आने वाली पीढ़ियां भी शिक्षित हो जाती है। लेकिन यहां बेटी की जिद ने अपने पिता को ना केवल पढ़ने के लिए मजबूर किया, बल्कि उसके बुंदल इरादों का ही नतीजा था, कि पिता को सरकारी नौकरी भी मिल गई। यह भले ही अपने आप में अजीब लगे। लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित गुडिया गांव में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला।
बेटी की जिद ने किया ऐसा काम…

हर पिता की ये चाहत होती है कि उसके बच्चे पढ़-लिखकर एक बेहतर जिंदगी व्यतीत करें। लेकिन यहां एक बेटी ना केवल खुद पढ़ाई कर सरकारी नौकरी हालिस करने में कामयाब रही, बल्कि उसने अपने पिता को सरकारी नौकरी दिलवा दी। दरअसल, 24 वर्षीय अंजना ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पिता को खुद साथ पढ़ने के लिए कहा। और सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी की बात रखी। जिसे लेकर पिता उसकी यह बात मान गए और दोनों ने एक साथ पटवारी की परीक्षा भी दी। हालांकि पिता इसमें सफल नहीं हो सके। फिर भी बेटी ने हिम्मत नहीं और पिता फिर से तैयारी करने को कहा। जिसके बाद 45 साल उम्र में उसके पिता को सरकारी नौकरी मिल गई।
मजाक के बाद किया फैसला…

तो वहीं इसके पीछे कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, जिसके कारण अंजना ने पिता को पढ़ने के लिए प्रेरित नहीं किया, बल्कि जिस उम्र में लोग अपनी आधी सेवा किसी विभाग में बिता चुके होते हैं, उस उम्र में पिता के लिए सरकारी नौकरी में एक सीट भी तैयार करवा दिया। जानकारी के मुताबिक, बात साल 2007 की है, जब अंजना कक्षा 10वीं में थी। कक्षा के सारे दोस्त अपने-अपने पिता के बारे में बता रहे थे। ऐसे में जब उसने अपने पिता के बारे जानकारी दी तो सभी हंसने लगे। अंजना का कहना कि उसके पिता 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद खेती-बाड़ी करने लगे। ऐसे में दोस्तों का मजाक उसे उसे इस कदर झकझोर दिया, उसने ये तय कर लिया कि खुद के साथ अपने पिता को पढ़ाकर सरकारी नौकरी एक दि जरुर दिलवा कर रहेगी।
फिर से पिता ने शुरु की पढ़ाई…

फिर इसके बाद उसने पिता को सारी बात बताई, हालांकि पहले तो वो नाराज दिखें। लेकिन बाद में अंजना की बात पर राजी हो गए। और लगभग 35 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई फिर से शुरु की। इसके बाद 2010 में उसके पिता स्नातक परीक्षा पास करने के बाद बीएड की। फिर साल 2011 में अंजना और उसके पिता ने एक साथ पटवारी की परीक्षा दी। लेकिन पिता का चयन नहीं हुआ। जबकि अंजना को नौकरी मिल गई। तो वहीं पिता निशान हुए क्योंकि उनकी आवेदन करने की उम्र निकल रही थी।
और इस तरह मेहनत लाई रंग…

इसके बाद अंजना ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से साल 2011 में पिता को कंडक्टर परीक्षा का फॉर्म भरवाया। जहां पहली लिस्ट में उनका चयन नहीं हो सका। लेकिन दोबारा से 6 साल बाद दूसरी लिस्ट में में उनका चयन राजस्थान रोडवेज में सरकारी ड्राइवर के पद पर हो गया। पिछले दिनों जब इस बात की जानकारी अंजना के पिता रामचंद्र को हुई तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तो वहीं वो इस सफलता का श्रेय अपनी बेटी को देते दिखें। उनका कहना कि बेटी ने उन्हें सारी विषयों की तैयारी करवाई। जिसके बाद उनका चयन हुआ।

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