scriptयहां उजागर हुआ हर छह माह में पौने दो करोड़ रुपए का घोटाला | 50 Rupees Game in Jal Bhavan Jaipur | Patrika News

यहां उजागर हुआ हर छह माह में पौने दो करोड़ रुपए का घोटाला

locationजयपुरPublished: Jan 24, 2020 01:43:21 pm

Submitted by:

dinesh

जयपुर शहरवासियों को साफ पानी पिलाने के नाम पर जलदाय विभाग में 50 रुपए में तारीख बदलने के पीछे करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया। मौके पर टंकियां और टैंक भले ही सालों से साफ नहीं हो रहे हों, लेकिन इनका ठेक ा समय से जरूर उठ जाता है और उसके बाद भुगतान भी हो जाता है…

जयपुर। जयपुर शहरवासियों को साफ पानी पिलाने के नाम पर जलदाय विभाग में 50 रुपए में तारीख बदलने के पीछे करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया। मौके पर टंकियां और टैंक भले ही सालों से साफ नहीं हो रहे हों, लेकिन इनका ठेक ा समय से जरूर उठ जाता है और उसके बाद भुगतान भी हो जाता है। हर छह महीने में टेंडर होते हैं फिर भी सालों से टैंक साफ नहीं हो रहे। स्थिति यह है कि मौके पर टैंक के दरवाजे तक टूटे पड़े हैं और सतह में मिट्टी का ढेर लगा है।
राजस्थान पत्रिका को पड़ताल में ऐसे कागज मिले हैं, जिनसे अधिकारियों का झूठ पकड़ में आ रहा है। जलदाय विभाग ने एक निजी फर्म को एक उपखंड के टैंक को एक बार साफ कराने के लिए करीब 4.5 लाख रुपए का ठेका दिया है। शहर में 90 टैंक हैं। एक टैंक की सफाई में टेंडर के अनुसार औसतन 1.5 लाख रुपए खर्चा आता है। इसको आधार मानते हुए इन सभी टैंक को साफ करने में करीब 1.35 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वहीं शहर में 100 पानी की टंकियां हैं। जलदाय विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो एक टंकी को साफ करने में 40 हजार रुपए तक खर्च होते हैं। ऐसे में 100 टंकियों पर पर 40 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। दोनों की सफाई का खर्च छह माह में जलदाय विभाग पौने दो करोड़ रुपए खर्च करता है।
यह है स्थिति
13 लाख लीटर से 18 लाख लीटर तक के टैंक हैं शहर में
90 से अधिक टैंक और 100 के करीब पानी की टंकियां हैं
1.5 लाख खर्चा आता है हर छह महीने में टैंक साफ करने का 40 हजार खर्चा आता है पानी की टंकी साफ करने में
राजस्थान पत्रिका ने 18 जनवरी को शीर्षक ‘50 रुपए में दर्ज हो जाती है नई तारीख’ से प्रकाशित की थी। इसमें बताया था कि विभाग टंकियों की सफाई में लापरवाही कर रहा है। अधिकारियों ने तो यहां तक कहा था कि हर 6 माह में टंकियां-टैंक साफ होते हैं। मेंटीनेंस में ही इनकी साफ सफाई का खर्चा शामिल होता है।
पड़ताल कि तो कर्मचारियों का जवाब उल्टा मिला। शहर के विभिन्न पानी की टंकियों और टैंक पर तैनात कर्मचारियों से बातचीत की तो अधिकतर ने स्वीकार किया कि पिछले एक से दो साल में कोई भी पानी की टंकी साफ नहीं हुई है। इतना ही नहीं, विभाग के पास ऐसा कोई आंकड़ा ही नहीं है, जब पानी की टंकियां और टैंक साफ करने के लिए आपूर्ति रोकी गई हो।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो