40 साल पहले पत्रिका ने उठाया था संरक्षण का बीडा। देशभर में केवल तीन हजार खरमोर पक्षी ही बचे हैं। बस्टर्ड प्रजाति के इस पक्षी के संरक्षण के लिए राजस्थान पत्रिका ने 40 साल पूर्व प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो अब पूरा हो रहा है। 2014 में नसीराबाद के समीप दो अन्य खरमोर (लेसर फ्लोरिकन) के भी ट्रांसमीटर लगाए थे, लेकिन दोनों भीलवाड़ा के आसपास ही रूक गए थे। पहली बार खरमोर द्वारा इतनी दूरी तय किए जाने का पता चला है।