पिपलिया गांव के पारसराज शाह को गांव से बेहद लगाव था। उनका सपना था कि गांव के किसी भी व्यक्ति को रोजगार के लिए अन्यत्र न जाना पड़े। इसलिए उन्होंने १९६५ में केबल बनाने की इंडस्ट्री गांव में ही लगाई। बाहर के तकनीकी सुपरवाइजर को नौकरी पर रखा और स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया। देखते ही देखते समूचा स्टाफ सभी कार्यों में दक्ष हो गया। १९८२ में पीजी फॉइल्स की नींव रखी गई। वर्तमान में यहां ७०० श्रमिक कार्यरत है। श्रमिक ही नहीं, मैनेजर और सुपरवाइजर भी स्थानीय है।
उद्योग का संचालन केवल शहरों से ही किया जा सकता है, यह मिथक शाह ने ५५ साल पहले ही तोड़ दिया था। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने केबल बनाने की इंडस्ट्री गांव में लगाई और उसका सफल संचालन किया। १९८२ में उनका देहांत हो गया। पुत्र पंकज पी शाह ने कारोबार को आगे बढ़ाते हुए पीजी फॉइल्स नाम की एक और इकाई स्थापित की तथा एल्युमिनियम फॉइल्स (दवाइयों के रैपर) बनाने का काम शुरू किया। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह के हाथों कराया गया था। दोनों इकाइयों का सालाना टर्न ओवर २६० करोड़ रुपए हैं। वे ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नानेश पीजी मेमोरियल नाम से अस्पताल भी संचालित कर रहे हैं।
पिता का सपना था कि गांव के लोग रोजगार के लिए बाहर नहीं जाएं। इसी सपने को पूरा कर रहे हैं। गांव को लोग बहुत सम्मान देते हैं। इतना सम्मान और कहीं नहंी मिल सकता। इसी में हमारी खुशी है।
पंकज पी शाह, सीएमडी, पीजी फॉइल्स लि. पिपलिया कला