script55 साल पहले गांव में लगाया उद्योग ताकि किसी को भटकना न पड़े | 55 years ago, the industry was set up in the village so that no one ha | Patrika News

55 साल पहले गांव में लगाया उद्योग ताकि किसी को भटकना न पड़े

locationजयपुरPublished: May 27, 2020 05:31:30 pm

Submitted by:

jagdish paraliya

प्रवासियों के लिए प्रेरणादायी: यहां का उत्पाद देश ही नहीं विदेशों तक किया जा रहा निर्यात

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पिपलिया की पीजी फॉइल्स में 99 फीसदी श्रमिक स्थानीय
पाली. पाली-जयपुर राजमार्ग स्थित पिपलिया गांव का पीजी फॉइल्स उद्योग उन समूचे प्रवासियों के लिए प्रेरणादायी बन सकता है जो भविष्य में यहां व्यापार-रोजगार की संभावनाएं तलाश रहे हैं। ५५ साल पूर्व मारवाड़ के अभावग्रस्त इलाके में इस उद्योग की नींव सिर्फ इसलिए दी गई कि गांव के किसी ग्रामीण को रोजगार के लिए बाहर भटकना न पड़े। वर्तमान में यहां ९९ फीसदी श्रमिक और अन्य कार्मिक स्थानीय है। यही नहीं, यहां का उत्पाद देश ही नहीं विदेशों तक निर्यात किया जा रहा है।
ग्रामीणों को किया प्रशिक्षित
पिपलिया गांव के पारसराज शाह को गांव से बेहद लगाव था। उनका सपना था कि गांव के किसी भी व्यक्ति को रोजगार के लिए अन्यत्र न जाना पड़े। इसलिए उन्होंने १९६५ में केबल बनाने की इंडस्ट्री गांव में ही लगाई। बाहर के तकनीकी सुपरवाइजर को नौकरी पर रखा और स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया। देखते ही देखते समूचा स्टाफ सभी कार्यों में दक्ष हो गया। १९८२ में पीजी फॉइल्स की नींव रखी गई। वर्तमान में यहां ७०० श्रमिक कार्यरत है। श्रमिक ही नहीं, मैनेजर और सुपरवाइजर भी स्थानीय है।
मिथक तोड़ा, २६० करोड़ का सालाना टर्न ओवर
उद्योग का संचालन केवल शहरों से ही किया जा सकता है, यह मिथक शाह ने ५५ साल पहले ही तोड़ दिया था। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने केबल बनाने की इंडस्ट्री गांव में लगाई और उसका सफल संचालन किया। १९८२ में उनका देहांत हो गया। पुत्र पंकज पी शाह ने कारोबार को आगे बढ़ाते हुए पीजी फॉइल्स नाम की एक और इकाई स्थापित की तथा एल्युमिनियम फॉइल्स (दवाइयों के रैपर) बनाने का काम शुरू किया। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह के हाथों कराया गया था। दोनों इकाइयों का सालाना टर्न ओवर २६० करोड़ रुपए हैं। वे ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नानेश पीजी मेमोरियल नाम से अस्पताल भी संचालित कर रहे हैं।
एेसा सम्मान कहीं नहीं मिल सकता
पिता का सपना था कि गांव के लोग रोजगार के लिए बाहर नहीं जाएं। इसी सपने को पूरा कर रहे हैं। गांव को लोग बहुत सम्मान देते हैं। इतना सम्मान और कहीं नहंी मिल सकता। इसी में हमारी खुशी है।
पंकज पी शाह, सीएमडी, पीजी फॉइल्स लि. पिपलिया कला
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