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दो पीढ़िया हो चुकी खत्म, ये बुजुर्ग सौतेली मां के पोतों से लड़ रहा इंसाफ की लड़ाई, अब जागी फैसले की उम्मीद…

locationजयपुरPublished: Dec 15, 2017 05:35:33 pm

पूरा मामला पारिवारिक सम्पत्ति को लेकर है, जो कि साल 1959 में पहली बार अदालत पहुंचा था। जहां श्रीगंगानगर के अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष परिवाद पेश हुआ

high court
प्रदेश के न्यायालय में एक ऐसा पारिवारिक सम्पत्ति विवाद सामने आया है, जो शायद राजस्थान का सबसे पुराना पारिवारिक विवाद है। तो वहीं इसकी लड़ाई लड़े रहे एक पक्ष की दो पीढ़िया खत्म हो चुकी है, तो वहीं अदालत में तीसरी पीढ़ी अपने पूर्वजों के विरासत को बचाने की लड़ाई कोर्ट में अब भी लड़ रही है। जिसका फैसला संभवत आने वाले 18 तारीख हो सकता है। पिछले 58 सालों से चली आ रही यह पारिवारिक विवाद कई अदालतों में लड़े जाने के बाद अपने आखिरी पड़ाव तक पहुंच गई है। मामला प्रदेश के श्रीगंगानगर जिले से जुड़ा है, जबकि अभी हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई जारी है।
1959 में पहली बार अदालत पहुंचा था मामला-

दरअसल, यह पूरा मामला पारिवारिक सम्पत्ति को लेकर है, जो कि साल 1959 में पहली बार अदालत पहुंचा था। जहां श्रीगंगानगर के अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष परिवाद पेश हुआ था। मामला यही के निवासी स्वर्गीय सुरजमल की सम्पत्ति को लेकर सामने आया था। स्वर्गीय सुरजमल ने दो विवाह किए थे और जब उनके सम्पत्ति का बंटवारा हुआ तो इसमें एक पत्नी के बच्चों को उसमें हिस्सा नहीं मिला, जिसके बाद ही पारिवारिक सम्पति का विवाद शुरु हुआ जो कि अदालत तक जा पहुंचा।
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पहली डिग्री के बाद 1988 मामला पहुंचा हाईकोर्ट में-

बता दें कि इस मुकदमे के मूल पक्षकारों में से 90 वर्षीय बंशीधर ही जिंदा बचे हैं। जो कि अपने सौतेली मां के पोतों से अपने अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। तो वहीं एक नीजि समाचार चैनल के मुताबिक, साल 1977 इस मामले की पहली डिग्री होने के बाद 1987 में इस पर अधीनस्थ न्यायालय फैसला सुनाया। फिर से मामला साल 1988 में हाईकोर्ट जा पहुंचा। जिसके बाद अब की पेशियों के दौरान एक पक्ष की दो पीढ़िया खत्म हो चुकी हैं, लेकिन अब तक अपने-अपने अधिकार को लेकर कानूनी लड़ाई अदालत में जारी है।
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1987 में अधीनस्थ न्यायालय के फैसले के बाद पक्षकार हरीकृष्ण ने हाईकोर्ट में साल 1988 में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की। जिसके बाद हाईकरोर्ट में मामले की पेशी और सुनवाई इतने लंबे सालों तक चलने के बाद बीते गुरुवार को हाईकोर्ट के न्याधीश जस्टिस दिनेश मेहता ने मामले को अपने अंतिम पड़ाव पर लाकर खड़ा कर दिया। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे है कि शायद अब आगामी 18 दिसम्बर को अदालत माममे को लेकर अपना फैसला सुनाएगी। अब तक इस लड़ाई को लड़ रहे बुजुर्ग बंशीधर भले ही शरीर से कमजोर हो चुके हैं, लेकिन उनका हौसला अभी भी इस कानूनी को लड़ने के लिए तैयार है जब तक कि उनका अधिकार नहीं मिल जाता।
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