1959 में पहली बार अदालत पहुंचा था मामला- दरअसल, यह पूरा मामला पारिवारिक सम्पत्ति को लेकर है, जो कि साल 1959 में पहली बार अदालत पहुंचा था। जहां श्रीगंगानगर के अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष परिवाद पेश हुआ था। मामला यही के निवासी स्वर्गीय सुरजमल की सम्पत्ति को लेकर सामने आया था। स्वर्गीय सुरजमल ने दो विवाह किए थे और जब उनके सम्पत्ति का बंटवारा हुआ तो इसमें एक पत्नी के बच्चों को उसमें हिस्सा नहीं मिला, जिसके बाद ही पारिवारिक सम्पति का विवाद शुरु हुआ जो कि अदालत तक जा पहुंचा।
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पहली डिग्री के बाद 1988 मामला पहुंचा हाईकोर्ट में- बता दें कि इस मुकदमे के मूल पक्षकारों में से 90 वर्षीय बंशीधर ही जिंदा बचे हैं। जो कि अपने सौतेली मां के पोतों से अपने अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। तो वहीं एक नीजि समाचार चैनल के मुताबिक, साल 1977 इस मामले की पहली डिग्री होने के बाद 1987 में इस पर अधीनस्थ न्यायालय फैसला सुनाया। फिर से मामला साल 1988 में हाईकोर्ट जा पहुंचा। जिसके बाद अब की पेशियों के दौरान एक पक्ष की दो पीढ़िया खत्म हो चुकी हैं, लेकिन अब तक अपने-अपने अधिकार को लेकर कानूनी लड़ाई अदालत में जारी है। यह भी पढ़ें