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Rajasthan Power Crisis: बिजलीघरों में 6 दिन का कोयला, फिर बिजली संकट के हालात

locationजयपुरPublished: May 27, 2022 09:48:41 am

Submitted by:

Anand Mani Tripathi

प्रदेश के बिजलीघरों में अभी 4 से 6 दिन का ही कोयला है और राज्य विद्युत उत्पादन निगम को छत्तीसगढ़ में आवंटित खदान (पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक) में भी केवल 13 से 15 दिन का ही कोयला बचा है। ऐसे में मानसून के दौरान प्रदेश में बिजली संकट की आशंका है।

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प्रदेश के बिजलीघरों में अभी 4 से 6 दिन का ही कोयला है और राज्य विद्युत उत्पादन निगम को छत्तीसगढ़ में आवंटित खदान (पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक) में भी केवल 13 से 15 दिन का ही कोयला बचा है। ऐसे में मानसून के दौरान प्रदेश में बिजली संकट की आशंका है।
संकट इसलिए बढ़ा है कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय ‘राजनीति’ के कारण द्वितीय चरण की खदान (841 हेक्टेयर) से खनन शुरू नहीं हो पाया। इसलिए प्रदेश के 4340 मेगावाट की बिजली उत्पादन यूनिट में कोयला संकट के हालात बन रहे हैं।
राज्य विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आर.के. शर्मा इसी मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ गए थे, जहां से लौटने पर उन्होंने सरकार को वस्तुस्थिति बताई।

बिजलीघरों में कोयला स्टॉक

छबड़ा सुपर क्रिटिकल- 2.5 दिन
छबड़ा सब क्रिटिकल- 7 दिन

कालीसिंध प्लांट- 7 दिन

सूरतगढ़ सब क्रिटिकल- 7

सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल- 6.5 दिन

कोटा प्लांट- 7 दिन

………

बिजली खरीद की वैकल्पिक व्यवस्था
ऐसे हालात के बाद ऊर्जा विकास निगम ने बिजली खरीद की वैकल्पिक व्यवस्था के प्रयास तेज कर दिए हैं। एनटीपीसी, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) व अन्य बिजली उत्पादकों से करीब 2500 मेगावाट के अनुबंध किए जा रहे हैं।
यूं बने हालात…..

छत्तीसगढ़ के सरगूजा में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को खदान आवंटित है। यहीं दूसरे चरण में 841 हेक्टेयर जमीन से खनन शुरू किया जाना है, लेकिन कुछ एनजीओ और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। वन भूमि होने और वहां से पेड़ काटने से पर्यावरण को नुकसान होने का हवाला दिया जा रहा है। तीन दिन पहले स्थानीय लोग रेल ट्रैक पर बैठ गए, जिससे कोयले की 9 की बजाय 6 रैक ही मिली। जबकि, केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों निर्धारित शर्तों के साथ अनुमति दे चुकी हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मिल चुके हैं।
नियम-हकीकत

यह है नियम: कोयला स्टॉक की सीमा बिजलीघरों की कोयला खदान की दूरी के आधार पर तय की गई है। राजस्थान के बिजलीघरों की खदान सेज्यादा दूरी है। इसलिए यहां कोयला स्टॉक 22 से 26 दिन तक तय किया हुआ है।
यह है स्थिति: प्रदेश में चार बिजलीघर में 23 यूनिट हैं और अभी 4 से 6 दिन का ही कोयला है।

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