scriptसब्जी के हैवी मेटल जांचने के लिए खर्चे 7 करोड़ की लैब, पर नहीं है कोई टैक्नीशियन | 7 million expense for testing heavy vegetable lab, but no technician | Patrika News

सब्जी के हैवी मेटल जांचने के लिए खर्चे 7 करोड़ की लैब, पर नहीं है कोई टैक्नीशियन

locationजयपुरPublished: Mar 20, 2018 01:10:59 pm

Submitted by:

Priyanka Yadav

केंद्रीय जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में 6 माह पहले लगी

 no technician
जयपुर . गंदे पानी से उगाई जा रही सब्जी, पेस्टीसाइड से पकाए जा रहे फल व अन्य खाद्य पदार्थों में हैवी मैटल की जांच की राजधानी स्थित देश की चौथी एडवांस लैब जंग खा रही है। छह महीने पहले चिकित्सा विभाग की ओर से सेठी कॉलोनी स्थित केंद्रीय जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में शुरू की गई नई लैब के पास टैक्नीशियन ही नहीं हैं। एेसे में अब तक ७ करोड़ की लागत की इस लैब में कोई सैंपल नहीं जांचा गया है। आरोप है कि कंपनी की ओर से भेजे गए कार्मिक टैक्नीशियन नहीं हैं, एेसे में वे लैब चालू नहीं कर सके।
लैब पर एक नजर

– देश में केवल गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक में ही लैब
– हैवी मैटल व पेस्टीसाइड की जांच की सरकारी क्षेत्र में उत्तर भारत की पहली लैब
– राज्य के अलावा पंजाब, हरियाणा व आसपास के राज्यों की जांचें भी यहीं होंगी
10 दिन बाद टेंडर पूरा, कौन सभांलेगा

कंपनी से भेजे गए टैक्नीशियन का टेंडर छह महीने के लिए था, जो 31 मार्च को पूरा होने जा रहा है। अब विभाग के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। टेंडर पूरा होते ही कंपनी पांचो टैक्निशियन को वापस बुला ले लेगी।
राज्य के खाद्य निरीक्षकों को पता नहीं कैसे लें सैम्पल, ट्रेनिंग भी नहीं

लैब लगने के बाद विभाग की ओर से दावा किया जा रहा था कि एक महीने के अंदर हैवी मैटल की जांच शुरू की दी जाएगी। लेकिन लैब लगने के छह महीने हो गए। राज्य के खाद्य निरीक्षकों ने एक भी सैम्पल नहीं लिया। निरीक्षकों को फूड सेफ्टी स्टैडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। ना ही निरीक्षकों को इस बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है।
सेहत से हो रहा खिलवाड़ इसलिए लगाई लैब

– सांगानेर, मानसागर सहित शहर के आस-पास के इलाकों में नाले की पानी से हो रही खेती हो रही है
ऐसे में मंडियों में आने वाली सब्जियों की जांंच नहीं हो पा रही है।
– दूषित व पेस्टीसाइड से पकाए गए फलों का भी पता नहीं चल रहा।
– अनाज व अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट की जानकारी भी नहीं मिल पा रही है।
दे रहे हैं सूचना

उधर मुख्य खाद्य विश्लेषक, (राजस्थान) का कहना है कि कंपनी की ओर से भेजे गए पांच टैक्नीशियन अनुभवहीन हैं। अब बीच-बीच में इंजीनियर आकर जांच प्रक्रिया सिखा रहे हैं। पांचों टैक्निशियन का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। विभाग को इसकी सूचना की जा रही है।
क्या हैं हैवी मेटल्स

सब्जियों के पेस्टिसाइड की जांच के लिए तो लैब हैं, लेकिन हैवी मेटल्स यानी आर्सेनिक, निकल मर्करी, केडमियम आदि की जांच के लिए कोई लैब नहीं है। हैवी मेटल्स किड्नी खराब कर देते हैं और कैंसर का भी कारण बनते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो