जयपुर

गुजरात में सिंगापुर की तर्ज पर बनेगी 70 मंजिला इमारतें, राजस्थान में 25 से ऊपर नहीं निकल पाए

गुजरात के इन पांच शहरों में 210 मीटर ऊंचाई तक हो सकेगा निर्माण, राजस्थान में फिलहाल 42 मीटर तक की अनुमति

जयपुरAug 19, 2020 / 12:16 pm

Bhavnesh Gupta

गुजरात में सिंगापुर की तर्ज पर बनेगी 70 मंजिला इमारतें, राजस्थान में 25 से ऊपर नहीं निकल पाए

भवनेश गुप्ता
जयपुर। गुजरात के पांच शहर अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट और गांधीनगर में 70 और उससे ज्यादा मंजिला इमारतें बनेगी। कृषि भूमि बचाने, शहर का बेतरतीब फैलाव रोकने, सीमित दूरी में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सस्ते आवास उपलब्ध कराने के लिए गुजरात सरकार ने गगनचुंबी इमारतों को अनुमति देने का बड़ा फैसला किया। राजस्थान के मुख्य शहरों में भी ऐसे ही वर्टिकल (ऊंचाई) डवलपमेंट की जरूरत है, लेकिन राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी और कानूनी मसलों को सुलझाने में नाकामी के कारण यहां बेतरतीब तरीके से शहर का विस्तार हो रहा है। चौड़ी सड़कों पर अनलिमिटेड ऊंचाई का प्रावधान होने के बावजूद राजस्थान में 25 मंजिल से ज्यादा ऊंचाई में की इमारत नहीं बन सकी है। यही कारण है कि गुजरात में 210 मीटर ऊंचाई तक इमारत बनेगी, लेकिन राजस्थान में फिलहाल 42 मीटर से अधिक ऊंची इमारत की अनुमति ही नहीं दी जा रही है। सरकार स्तर पर पुख्ता फायर फाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं होने के कारण हाईकोर्ट की रोक है। योजना आयोग और शहरी विकास मंत्रालय भी वर्टिकल विकास को बढ़ाने के निर्देश दे चुका है।
यहां है सबसे ऊंची इमारत..
जयपुर में अजमेर रोड पर 25 मंजिला इमारत बनी हुई है, जो सबसे ऊंची है। अकेले जयपुर में ही सत्तर मीटर से ऊंची इमारत के लिए 2 और 40 से 60 मीटर के बीच 12 आवेदन किया हुआ है, लेकिन कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं होने और 42 मीटर से ऊंची स्नार्गल लैडर फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होने के कारण वर्टिकल डवलपमेंट नहीं फैल रहा।

गुजरात : स्काईलाइन तय की..
-यूएई और सिंगापुर की तर्ज पर गुजरात की स्काईलाइन को आगे बढ़ाना, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षमता में अग्रणी भी होगा।
-तेजी से बढ़ती आबादी के लिए आसान और सस्ते आवास उपलबध कराना। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
-नए बिल्डिंग बायलॉज उन स्ट्रक्चर पर लागू होंगे, जो 100 मीटर से अधिक ऊंचाई के होंगे। ऐसे प्रोजेक्ट को स्वीकृति के लिए एक विशेष तकनीकी समिति होगी।
-इमारत मेें आपदा प्रबंधन के लिए अलग से प्लान होगा। इसका विंड टनल टेस्ट अनिवार्य होगा।
राजस्थान : असीमित ऊंचाई का दिखावा..
-200 फीट और उससे ज्यादा चौड़ी सडक, बीआरटीएस कॉरिडोर और मेट्रो रूट पर असीमित ऊंचाई का प्रावधान है, लेकिन इसका फायदा सीमित इलाके तक सीमित है। क्योंकि, ऐसी स्थिति कुछ ही जगह है।
-यहां भी बिल्डिंग की ऊंचाई सड़क चौड़ाई और अग्र सेटबैक के आधार पर निर्धारित होगी। मसलन, सड़क चौड़ाई 200 फीट है तो उसका डेढ़ गुना ऊंचाई यानी 300 फीट और इसमें अग्र सेटबैक जुड़ जाएगा। इसमें अग्र सेटबैक 50 फीट है तो भूखंड पर कुल 350 फीट (106 मीटर) ऊंचाई तक ही इमारत का निर्माण किया जा सकेगा, यानि 35 मंजिल बनेगी।
-बहुमंजिला इमारत की ऊंचाई के एक चौथाई सेटबैक चारों तरफ छोड़ने की अनिवार्यता। मसलन, इमारत की ऊंचाई 100 मीटर है तो भूखंड में चारों तरफ 25 मीटर सेटबैक छोड़ना होगा। ज्यादा ऊंची इमारत के लिए बड़े भूखंड लेने की जरूरत होती है, जो हर बिल्डर की जद में नहीं है।
-40 मीटर से अधिक ऊंची इमारत बनाने से पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलोजी के विशेषज्ञों से स्ट्रक्चरल डिजाइन स्वीकृत कराने की बाध्यता है।
समझिए : कृषि भूमि बचेगी, एक चौथाई जमीन में होगा काम
आवासीय योजना : 100 वर्गगज के 300 भूखण्ड की आवासीय योजना सृजित करनी है। इसके लिए 30 हजार वर्गगज जमीन तो भूखण्डों के लिए चाहिए, जबकि 12 हजार वर्गगज जमीन सुविधा क्षेत्र के लिए चाहिए। यानि, 42 हजार वर्गगज जमीन, जिसमें सड़क, उद्यान व अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
बहुमंजिला इमारतें : इन तीन सौ भूखण्डों के अनुरूप ही बहुमंजिला इमारत में समान क्षेत्रफल की जगह उपलब्ध कराने के लिए 10 से 11 हजार वर्गगज जमीन ही चाहिए। इसमें न केवल आवासीय सुविधा मिलेगी, बल्कि 60 से 65 फीसदी खुला क्षेत्र भी उपलब्ध होगा, जिसमें उद्यान, स्वीमिंग पूल, जॉगिंग ट्रेक व अन्य सुविधाएं।
जमीन बची : 3 चौथाई से ज्यादा जमीन बच गई। इस भूमि पर ऐसी ही आवासीय योजना का निर्माण कर सैंकड़ों परिवारों को एक जगह बसाया जा सकता है। कृषि भूमि बच सकेगी।
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