शहर की परिवहन सेवा उनमें से एक हैं। गुुलाबी नगरी की चल रही खराब सिटी बसों में सफर करना जान जोखिम में लाने के बराबर है। आलम है कि लोग बसों में घुटन भरा सफर कर रहे हैं। बस के अंदर भी बैठने में लोग भयभीत हैं तो बाहर लोगों की जान जोखिम में हैं। बसें बिना ही मेंटिनेंस के डिपो से बाहर आ रही हैं। चलती बसों के कहीं टायर निकल रहे हैं तो कहीं पहियों में आग लग रही हैं। इसके अलावा बसें शहर को प्रदूषित कर रही हैं।
चौकानें वाली बात है कि बसों का संचालन करने वाला जेसीटीएसएल ने भी तंगहाली से चलते हाथ खड़े कर दिए हैं। बसों को चलाने तक के पैसे नहीं है। ऐसे में शहर की परिवहन सेवा में ग्रहण सा लग चुका है। इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शहर के लोगों को सही मायने में सिटी बसों की समस्या से आजादी चाहिए।
प्रबंधन की आर्थिक की स्थिति पर नजर 43 करोड़ का भार है सीटीएसएल पर 4 करोड़ रुपए कर्मचारियों की सैलरी के देने हैं 6.75 करोड़ रुपए बगराना डिपो बनाने वाल कंपनी पर
10 करोड़ से अधिक मातेश्वरी फर्म को 60 लाख रुपए सांगानेर डिपो की सुपरसर्विस को क्या है सिटी बसों की स्थिति 09 साल से पुरानी बसें शहर में चल रही हैं
400 बसें चलती थी एक साल पहले 300 बसें घटकर रह गई एक साल में 70 बसें हाल ही खराब हो चुकी 100 बसें भी शहर में चलने लायक नहीं 2009-10 में ली गई थी अधिकतर बसें
2.5 लाख यात्री सफर करते हैं बसों में रोज 21 लाख रुपए आय होती है रोज समस्या क्या हो रही शहर में बसें कम हो चुकी हैं, यात्री बेबस हो गए
बिना मेंटिनेंस बस चल रही हैं, दुर्घटनाएं हो रही हैं कर्मचारियों को कंपनी वेतन भी नहीं दे रही हैं खराब बसें शहर में प्रदूषण फैला रही हैं आबादी वाले इलाकों में बसें नहीं है
सरकार की ओर से जेसीटीएसएल को पैसा आना बंद हो गया समाधान क्या है इलेक्ट्रिक बसों की खरीद जल्द से जल्द की जाए सरकार से मिलने वाला सालाना 30 करोड़ रुपए दिए जाए
हर महीने बोर्ड की बैठक हो और समस्याओं की सुनवाई करें नए रूटों पर बसों का संचालन किया जाए मेंटिनेंस करने वाली फर्मों पर सख्ती की जाए, पैनटल्टी लगें मेट्रो सेवा को शहर के अन्य इलाकों में बढ़ानाई जाए
कॉलोनियों में ई रिक्शा का संचालन शुरू किया जाए इसी साल बड़े हादसे टोंक रोड महारानी कॉलेज के पास चलती बस के ब्रेक फेल पिछले महीने गोपालपुरा मोड पर बस से टायन निकल गया
सीतापुरा में चलती बस के टायर में आग गई जनता क्या कहती जयपुर को देश के दूसरे शहरों की परिवहन सेवाओं से सबक लेना चाहिए। नए प्रयोगों के साथ शहर में सिटी बसों का प्रोजेक्ट लेकर आएं ताकि जनता को राहत मिल सके। सालों से व्याप्त समस्या से आजादी मिल सके।
अक्षत मदान, व्यापारी जयपुर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। लेकिन इससे पहले शहर को बेहतर परिवहन सेवा की जरूरत है। लोग घर से निकलें और सुरक्षित सफर कर पाएं। शहर के प्रत्येक नागरिक की प्राथमिकता यही है।
अर्पित खड़ेलवाल, युवा जयपुर में महिलाओं के लिए आज भी सफर सुरक्षित नहीं है। महिलाएं किराए पर कैब कर या ऑटो में ज्यादा पैसे देकर यात्रा कर रही है। सिटी बसों को देखकर यात्रा करने में डर लगता है। ऐसे में जयपुर की परिवहन सेवाओं में सुधार होना चाहिए।
मनीषा गुप्ता, गृहणी