परिसीमन में कुल बनाई गई 1455 नई ग्राम पंचायतों में से पंचायत राज विभाग ने 1445 के लिए नए भवनों की आवश्यकता का आकलन किया था। लेकिन 235 पंचायतों के ही नए भवन बन पाए हैं। नई बनी 57 पंचायत समितियों के हाल तो और भी बदतर है। ढाई साल से सरकार इन संस्थाओं के लिए सिर्फ भूमि ही ढूंढ रही है। इनमें से एक भी पंचायत समिति का भवन अब तक बन कर पूरा नहीं हो पाया है। लंबा समय बीतने के बाद भी ’बेघर’ पंचायतें अपने कार्यालय राजकीय स्कूलों या अन्य किसी सरकारी भवन से संचालित करने को मजबूर हैं।
सियासी जोड़तोड़ के लिए नई पंचायती राज संस्थाएं बनाना और फिर भूल जाना सिर्फ कांग्रेस सरकार में ही सामने नहीं आया है। इससे पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय 2014 में भी 723 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई थी। 710 में भवन की जरूरत थी। आठ साल बाद भी 84 के भवन नहीं बने हैं। पंचायत समितियों में भी 47 में से 9 को नया ठिकाना नहीं मिला है।
नहीं बने ’बजट’ के अंबेडकर भवन
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 2019 की बजट घोषणा अंबेडकर भवन भी नौकरशाही की कछुआ चाल के शिकार हो गए हैं। अब तक एक भी जमीन पर बन कर तैयार नहीं हुआ। 140 में से महज 8 में निर्माण शुरू हुआ है। बिना कार्यालय पंचायतों को अपने कामकाज में परेशानी हो रही है। सरकार जिला परिषदों को पंचायत भवन निर्माण का कार्य प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दे।
बंशीधर गढ़वाल, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान सरपंच संघ