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85 प्रतिशत हीमोफीलिया मरीजों की पहचान के बावजूद भी नहीं कोई उपचार

locationजयपुरPublished: Apr 17, 2018 11:22:14 am

Submitted by:

Priyanka Yadav

विश्व हीमोफीलिया दिवस आज, प्रदेश में 1000 लोग बीमारी से पीडि़त, जागरुकता की कमी आ रही आड़े

hemophilia patients
जयपुर . दुनिया भर में हीमोफीलिया से पीडि़त लोगों में से आधे लोग भारत में हैं। अभी तक उनमें से 15 प्रतिशत की पहचान हुई है, शेष का निदान-उपचार नहीं हो पा रहा है। राजस्थान में इस समय करीब 1000 लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। जागरुकता की कमी से 85 प्रतिशत मरीजों की पहचान नहीं हो पा रही है। प्रदेश में और अधिक समग्र हीमोफीलिया उपचार केंद्र विकसित करने की जरूरत है।
वंशानुगत बीमारी

यह बीमारी वंशानुगत जेनेटिक रक्त समस्या है, जो रक्त के थक्के बनने की क्षमता को कम करती है। हीमोफीलिया के रोगियों में पर्याप्त क्लॉटिंग फैक्टर नहीं पाया जाता, जो प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला ऐसा प्रोटीन है जो रक्तस्त्राव रोकता है। परिणामस्वरूप हल्की सी चोट लगने से अत्यधिक रक्तस्त्राव हो सकता है और रोगी की जान जोखिम में पड़ सकती है।

आंतरिक अंगों को नुकसान

चोट लगने पर पीडि़तों को ज़्यादा समय तक रक्त स्त्राव होता है। शरीर के अंदर रक्त स्त्राव होने पर आंतरिक अंगों व ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है और जीवन घातक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी हीमोफीलिया से बड़े जख्म बनने से लगातार रक्त स्त्राव होता रहता है।
मांसपेशियों व जोड़ों विशेष रूप से घुटनों, कोहनी और टखनों में रक्त स्त्राव होना कुछ अन्य लक्षण हैं।

जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ.अशोक गुप्ता ने बताय की मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में मेडिकल कॉलेजों और कुछ जिला अस्पतालों में इलाज हो रहा है। वांछित फैक्टर्स केवल इन्हीं स्थानों पर उपलब्ध हैं। जेके लोन अस्पताल में डे केयर सेंटर भी बनाया गया है, रोगियों को हीमोफीलिया वार्ड में वांछित उपचार उपलब्ध है।

बढ़ाई जा सकती है उम्र

सभी हीमोफीलिया केंद्र सरकार की ओर से चलाए जाते हैं, रोगियों को फैक्टर रिप्लेसमेंट थैरेपी दी जाती है ताकि रक्तस्त्राव की स्थिति में रक्त के थक्का बनने में मदद मिल सके। परिणामस्वरूप रोगियों की उम्र बढ़ाई जा सकती है। वे 60 या इससे अधिक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं।

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