केस 1: जयपुर के एक पुराने और बड़े अस्पताल में 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक ने गुरुवार को कोविड जांच कराई। इसके 1200 के बजाय 2200 रुपए वसूले गए। इतना ही नहीं उन्हें निजी अस्पताल में संक्रमित बताया गया जबकि दिन आरयूएचएस में जांच कराई तो रिपोर्ट नेगेटिव आई।
सीकर हाउस निवासी शीला सराफ ने बताया कि उनकी सास को 2 सितम्बर को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई। सबसे पहले एसमएस हॉस्पिटल ले गए लेकिन वहां इलाज नहीं मिला। बाद में कई निजी अस्पतालों में ले गए लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ने से उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत थी, जो निजी अस्पतालों ने नहीं दिया। आरयूएचएस में भी आइसोलेशन वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं था। आखिर उन्हें निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन अगले दिन कोविड रिपोर्ट आने के 3 घंटे के अंदर उनकी मौत हो गई। एक दिन का खर्चा लगभग 90 हजार रुपए आया। अलग—अलग अस्पताल जाने के कारण 16 हजार रुपए एम्बुलेंस का खर्चा आया।
सोडाला निवासी विनोद कुमार छाबड़ा ने बताया कि उनकी पत्नी की तबीयत खराब होने पर गोपालपुरा बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया, जहां 10 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। यहां 3 लाख से ज्यादा का बिल बना। हॉस्पिटल में मरीज को देखने तक नहीं दिया।
वैशालीनगर निवासी कमल चौपड़ा ने बताया कि गत माह संक्रमित हुआ तो आरयूएचएस में भर्ती हुआ। आठ दिन तक रहा। इस बीच रिपोर्ट तो निगेटिव हो गई लेनिक सांस में तकलीफ और निमोनिया हो गया। ऐसे में निजी अस्पताल में भर्ती हुआ। आठ दिन बाद हालत ठीक होने के बाद छुट्टी मिली तब तक सवा लाख रुपए खर्च हो गए।