हुआंग ने बताया कि कभी ताइवान में उनके गांव जैसे 900 से ज्यादा शरणार्थियों वाले सैन्य गांव थे जहां ताइवानी और चीन के शरणार्थी मिलकर रहा करते थे। लेकिन 1980-90 के दशक में ताइवानी अधिकारियों ने ऊंचे दामों पर इन गांवों को बिल्डर्स के हाथों बेच दिया। अब यहां ऐसे केवल 30 गांव ही बचे हैं। वर्ष 2008 में सरकार ने घोषणा की कि हुआंग के गांव को भी हटाकर वहां आवासीय फ्लैट्स और व्यवसायिक मॉल्स बनाए जाएंगे। लेकिन हुआंग ने बाकियों की तरह हार नहीं मानी। हुआंग ने बताया कि वे यहां से भी पलायन नहीं करना चाहते थे। यह एकमात्र छत थी जो कभी मुझे चीन से भागकर आने पर नसीब हुई थी। इसलिए मैंने इसे बचाने की ठानी और चीन की परंपरागत चित्रकारी से पूरे गांव को सजाने की ठानी।
हुआंग ने चित्रकारी की शुरुआत अपने घर की दीवार को रंगने से की। यहां उन्होंने पक्षियों की पेंटिंग की। वे रोज सुबह उठतेे, हाथ में रंगों से भरी बाल्टी, हाथ में कूचियां और मन में घुमड़ती तस्वीरों के साथ वे रोज अपने गांव की गलियों, दीवारों, सड़कों और खाली पड़े घरों को रंगते। समय के साथ उनकी चित्रकारी को ताइवान के शहरों में पहचान मिलने लगी। धीरे-धीरे वे अपनी परंपरागत चित्रकारी के कारण ताइवान में ‘ग्रैंडपा रेनबो’ के नाम से पहचाने जाने लगे। साल 2010 में ling tung विश्वविद्यालय का एक छात्र गांव में घूमने आया। अपने गांव को बचाने के लिए हुआंग के इस प्रयास को उसने दुनिया के सामने लासने की ठानी। उसने हुआंग के लिए गांव को रंगने के लिए पर्याप्त मात्रा में पेंट उपलब्ध करवाने के लिए उसने ऑनलाइन चैरिटी फंड भी बनाया। इससे पहले हुआंग अपने ही पैसों से रंग खरीदकर गांव में चित्रकारी कर रहे थे। उसने गांव को ध्वस्त करने से बचाने के लिए इसके विरोध में एक याचिका भी दायर की। छात्र के प्रयास रंग लाए।
एक दशक में हुआंग ने गांव की हर दीवार, गली, घर, रास्ता यहां तक की पेड़ों को भी अपनी कलाकृति के जीते-जागते कैनवास में बदलकी रख दिया है। हुआंग कहते हैं वे सुबह 3 बजे उठकर गांव में अब भी चित्रकारी करते हैं। वे इस काम को 100 साल की उम्र में भी करना जारी रखेंगे क्योंकि यह काम उन्हें युवा और ऊर्जावान बनाए रखता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि वे कोई प्रशिक्षित चित्रकार नहीं है। उनके पिता ने उन्हें ३ साल की उम्र में थेड़ा बहुत चित्र बनाना सिखाया था। उन्होंने कहा कि इस उम्र में मैं कई काम कर पाने में खुद को लाचार महसूस करता हूं लेकिन चित्रकारी मुझमें नया जोश भर देती है।