कोविड़ पेशेट से ही रिश्वत लेने पहुंच गया बेशर्म सिपाही
दरअसल उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हरदीप सिंह और उनके भजीते पवन कुमार अरोडा की उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में श्री गुरु तेगबहादुर फार्मा के नाम से दवा की फर्म है। यहां से प्रदेश के कई जिलों में दवा की सप्लाई की जाती है। पिदले महीने गंगानगर के सदर थाने में थानाधिकारी राजेश कुमार सियाग ने दवाओं में मिलावट और गडबड़ी का एक केस दर्ज किया था। इस केस में हरदीप और पवन अरोड़ा की फर्म को भी नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। हरदीप सिंह के अनुसार उनकी फर्म की कोई भी स्पष्ठ भूमिका इस केस में नहीं होने के बाद भी एसएचओ सियाग लगातार दबाव बना रहा था।
पिछले महीने की 18 तारीख को थाने से सिपाही नरेश मीणा और एएसआई सोहन लाल आए। दोनो ने हरदीप सिंह के भजीते पवन को एक होटल में बुलाया और वहां से गिरफ्तार कर गंगानगर ले जाने की धमकी दी। कहा कि अगर सैटलमैंट चाहते हो तो पंद्रह लाख रुपए दो। पवन ने पुलिसकर्मियों के धमकाने पर पंद्रह लाख रुपए दे दिए। उसके बाद 25 अक्टूबर को फिर से नरेश मीणा ने हरदीप और पवन कुमार को फोन कर कहा कि मामला सैटल नहीं हुआ है अभी पच्चीस लाख रुपए ओर लगेंगे। इस पर हरदीप सिंह ने बताया कि वे दिल्ली एडमिट हैं और उनको कोरोना हुआ है।
बेशर्म पुलिसकर्मी नरेश ने हरदीप से ही कानपुर से दिल्ली जाने का एयर टिकिट बुक कराया और नरेश कोविड पेशेंट से ही रिश्वत लेने जा पहुंचा। लेकिन उस समय हरदीप ने कुछ हजार रुपए देकर नरेश को भेज दिया। बाद में दोनो पक्षों ने पंद्रह लाख रुपए में सौदा तय किया। इस बार दस लाख रुपए जयपुर में देना तय हुआ। जयपुर के एक होटल में नरेश मीणा पहुंचा और रुपए लेने की तैयारी कर रहा था इस दौरान एसीबी ने उसे धर लिया।
दरअसल हरदीप ने पहले ही जोधपुर एसीबी अफसरों से इस बारे में संपर्क कर लिया था। जयपुर में रिश्वत लेने के दौरान नरेश को गिरफ्तार किया गया। जानकारी में एसएचओ राजेश कुमार सियाग का नाम भी आया तो गंगानगर में उसे गिरफ्तार करने की तैयारी की गई। लेकिन गिरफ्तारी से पहले ही वह फरार हो गया। इस पूरे मामले को लेकर अब सियाग की तलाश की जा रही है और उस पर भी मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।