scriptऑपरेशन के दौरान पेट में रूई—पट्टी छोड़ी | A cotton bandage was left in the abdomen during the operation | Patrika News

ऑपरेशन के दौरान पेट में रूई—पट्टी छोड़ी

locationजयपुरPublished: Oct 08, 2021 09:32:41 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

राज्य उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक को साढ़े 25 लाख रूपए हर्जाना देने के आदेश दिए

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जयपुर।

राज्य उपभोक्ता आयोग ने आॅपरेशन के दौरान पेट में रूई पट्टी छोड़ने को चिकित्सकीय लापरवाही माना है। आयोग ने निजी अस्पताल और उसके चिकित्सक को दूसरे अस्पताल में इलाज पर खर्चा सहित साढ़े 25 लाख रूपए हर्जाना मरीज को देने के आदेश दिए हैं।
कंवर नगर निवासी गीता ने राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर कहा कि उसको 24 मार्च को अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसके परिजनों को डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन ने सामान्य डिलीवरी से स्वस्थ्य बच्चा होने की जानकारी दी थी। उसके बाद अस्पताल प्रशासन ने ज्यादा रक्त स्त्राव होने की जानकारी देते हुए रक्त मंगवाया। इस दौरान आॅपरेशन करके बच्चेदानी निकाल दी। इसके बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इस पर उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां पर जांच में पता चला की पेट में रूई—पट्टी छोड़ दी है जिसकी वजह से मवाद पड़ गई है। इसमें इलाज पर करीबन 10.42 लाख रूपए खर्च हो गए। परिवाद पर अस्पताल ने अपने जवाब में कहा कि सिजेरियन आॅपरेशन में कई बार ज्यादा रक्त बह जाता है और आॅपरेशन विशेषज्ञ चिकित्सक के जरिए किया गया था। पुलिस में दर्ज एफआइआर में अंतिम रिपोर्ट पेश की गई है। आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद माना कि पेट में रूई पट्टी छोड़ना गंभीर सेवादोष है। आयोग के न्यायिक सदस्य एसके जैन और रामफूल गुर्जर ने इसके लिए परिवादी को मानसिक संताप के तौर पर दस लाख रूपए, इलाज में खर्च हुए 15.42 लाख रूपए और परिवाद व्यय के तौर पर 25 हजार रूपए देने के आदेश दिए। आयोग ने परिवाद दाखिल करने की तारीख से नौ फीसदी ब्याज भी देने के आदेश दिए हैं।
अस्पताल और चिकित्सक पर हर्जाना

स्वेच्छा कोठारी का बिना सीटी स्कैन किए नाक का ऑपरेशन करने से मरीज का ब्रेन हेमरेज हो गया। जिसके कारण परिवादी को अहमदाबाद जाकर ब्रेन का ऑपरेशन करना पडा। राज्य उपभोक्ता आयोग में दायर परिवाद में कहा गया कि इसकी वजह से सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकेगी। इसके अलावा वह ना तो वाहन चला सकेगी और ना ही पानी के पास जा सकेगी। इसके साथ ही ऊंची चढ़ाई के लिए भी असक्षम हो गई है। आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक पर कुल 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है।
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