दादा गोपाल का कहना है कि पोते ने भले ही कुछ भी किया हो, हमें बताते तो सही, उसे समझाते, नहीं मानता तो स्कूल से निकाल लेते। लेकिन स्कूल को यह अधिकार किसने दिया कि वह उसे टॉर्चर करे। स्कूल वालों ने ही उसे मारा है। दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक चैन नहीं मिलेगा। शनिवार को पीडि़़त परिवार से मिलने बगरू विधायक कैलाश वर्मा भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि पुलिस को दो दिन का वक्त दिया है, इसमें जांच नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
परिजनों ने उठाए सवाल-शिकायत थी तो हमें क्यों नहीं बताया
– कई घंटों से वह कक्षा में नहीं था, ढाई बजे बाद वह खिड़की से कूदा – स्कूल शिक्षा देने के लिए है, प्रताडऩा कक्ष का क्या काम
– ऊंचाई से गिरा तो उसके बाहरी चोट नहीं दिखी
– गर्दन पर लाल निशान, लीवर के डैमेज होने से लग रहा है उसे पीटा गया
– स्कूल की छुट्टी के बाद भी उसे रोकने का क्या काम – सूचना भी ड्राइवर के जरिए क्यों दी गई
मां को संभाल पाना मुश्किल संजय की मां को जब घटना का पता चला तब से वह बेसुध है। रोना, चिल्लाना और बच्चे को पुकारना ही उसके हक में रह गया। परिवार के लोग उसे समझाते, आंसूं पूंछते, लेकिन तब भी वह चुप नहीं हो रही है। छोटी बहन संजना अपनी भाई को याद तो करती है, लेकिन हुआ क्या यह समझ नहीं सकी है।