शव को उठाने की जिम्मेदारी तय करने में ही साढ़े चार घंटे लग गए। लावारिस का कसूर इतना ही था कि उसका कोई जान पहचान वाला नहीं था। कोरोना संक्रमित होने की आशंका के चलते शव उठाने के लिए विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी बताते रहे। साढ़े चार घंटे तक शव फुटपाथ पर धूप में ही पड़ा रहा। पत्रिका ने मौके पर जाकर देखे हालात-
वार्तालाप से पता चली जिम्मेदारों की हकीकत पुलिसकर्मी: हैलो…हैलो…साढ़े चार घंटे हो गए यहां खड़े हैं…अभी तक शव उठाने की कोई व्यवस्था नहीं की है…, कन्ट्रोल रूम: कलक्टर साहब ने कहा है शव पुलिस ही उठाएगी।
पुलिसकर्मी: हमारे बीबी-बच्चे नहीं है क्या? कोई सुविधा भी नहीं है। पीपीई किट और एम्बुलेंस भी नहीं पहुंची। हम इंसान नहीं हैं क्या। मृतक कोरोना संक्रमित है या नहीं, कैसे पता चलेगा। कुछ भी हो, हम शव नहीं उठाएंगे…।
यों होती रही मानवता तार-तार
सुबह 10 बजे: 108 एम्बुलेंस पहुंची पर बैरंग लौट गई पीसीआर पर तैनात दिनेश सिंह दस बजे गश्त करते हुए सेंट्रल पार्क के गेट के पास पहुंचे। यहां फुटपाथ पर युवक को पड़ा देख रुके। तस्दीक में युवक की मौत होने का पता चला तो पुलिस कन्ट्रोल रूम के जरिए जिला कलक्ट्रेट कन्ट्रोल रूम को शव उठवाने के लिए एम्बुलेंस मांगी। सूचना पर अशोक नगर थाना पुलिस व ट्रैफिक पुलिस भी मौके पर पहुंची। वहां वाहनों की आवाजाही बंद करवा दी गई। 108 एम्बुलेंस मौके पर पहुंची, लेकिन शव को नहीं उठाने की बात कहते हुए बैरंग ही लौट गई।
सुबह 10 बजे: 108 एम्बुलेंस पहुंची पर बैरंग लौट गई पीसीआर पर तैनात दिनेश सिंह दस बजे गश्त करते हुए सेंट्रल पार्क के गेट के पास पहुंचे। यहां फुटपाथ पर युवक को पड़ा देख रुके। तस्दीक में युवक की मौत होने का पता चला तो पुलिस कन्ट्रोल रूम के जरिए जिला कलक्ट्रेट कन्ट्रोल रूम को शव उठवाने के लिए एम्बुलेंस मांगी। सूचना पर अशोक नगर थाना पुलिस व ट्रैफिक पुलिस भी मौके पर पहुंची। वहां वाहनों की आवाजाही बंद करवा दी गई। 108 एम्बुलेंस मौके पर पहुंची, लेकिन शव को नहीं उठाने की बात कहते हुए बैरंग ही लौट गई।
सुबह 10.30 बजे: इनकी भी सुध नहीं ली
पुलिसकर्मी शव से कुछ दूरी पर खड़े थे। बार-बार पुलिस कन्ट्रोल रूम और थाने से उनका संवाद चल रहा था। मोबाइल पर दोपहर एक बजे सामने वाले से बात करते हुए एक पुलिसकर्मी ने कहा कि सुबह से खड़े हैं। गर्मी इतनी भीषण है। बहुत तेज प्यास लग रही है। एक पानी की बोतल तो भिजवा दो। हालांकि पानी की बोतल भी नहीं आई।
पुलिसकर्मी शव से कुछ दूरी पर खड़े थे। बार-बार पुलिस कन्ट्रोल रूम और थाने से उनका संवाद चल रहा था। मोबाइल पर दोपहर एक बजे सामने वाले से बात करते हुए एक पुलिसकर्मी ने कहा कि सुबह से खड़े हैं। गर्मी इतनी भीषण है। बहुत तेज प्यास लग रही है। एक पानी की बोतल तो भिजवा दो। हालांकि पानी की बोतल भी नहीं आई।
दोपहर 1.34 बजे: आखिरकार आई निजी एंबुलेंस, पुलिस ने की व्यवस्था
मौके पर खड़े पुलिसकर्मियों को पुलिस कन्ट्रोल रूम और अशोक नगर थाना एचएम ने संदेश दिया कि कलक्टर साहब ने कह दिया है कि शव पुलिस ही उठाएगी। तब पुलिसकर्मी बोले, किसी भी अधिकारी का फोन आ जाए…बिना पीपीई किट हम शव नहीं उठाएंगे। एम्बुलेंस नहीं है। थाने की जीप में शव ले जाएं क्या? बाद में पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर मौके पर खड़े पुलिसकर्मी ने एसएमएस अस्पताल के पीछे से एक निजी एम्बुलेंस और शव उठाने के लिए सफाईकर्मियों की व्यवस्था की। फिर शव को दोपहर 1.34 बजे अस्पताल के लिए भिजवाया।
मौके पर खड़े पुलिसकर्मियों को पुलिस कन्ट्रोल रूम और अशोक नगर थाना एचएम ने संदेश दिया कि कलक्टर साहब ने कह दिया है कि शव पुलिस ही उठाएगी। तब पुलिसकर्मी बोले, किसी भी अधिकारी का फोन आ जाए…बिना पीपीई किट हम शव नहीं उठाएंगे। एम्बुलेंस नहीं है। थाने की जीप में शव ले जाएं क्या? बाद में पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर मौके पर खड़े पुलिसकर्मी ने एसएमएस अस्पताल के पीछे से एक निजी एम्बुलेंस और शव उठाने के लिए सफाईकर्मियों की व्यवस्था की। फिर शव को दोपहर 1.34 बजे अस्पताल के लिए भिजवाया।
निगम ने सुनवाई नहीं की तो पुलिस को कहा
जिला कन्ट्रोल रूम पर पत्रिका संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि नगर निगम और जेईएन को इस संबंध में बता दिया। कई बार कहने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस का काम था, इसलिए पुलिस को शव उठाने के लिए कह दिया।
जिला कन्ट्रोल रूम पर पत्रिका संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि नगर निगम और जेईएन को इस संबंध में बता दिया। कई बार कहने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस का काम था, इसलिए पुलिस को शव उठाने के लिए कह दिया।
अब सुविधायुक्त एंबुलेंस मिलेगी भविष्य में ऐसी घटना नहीं हो, इसके लिए जिला प्रशासन अधिकारियों से वार्तालाप कर कोरोना संक्रमण को देखते हुए सुविधायुक्त एम्बलेंस और नगर निगम के कर्मचारी उपलब्ध करवाना तय किया है। ताकि कहीं शव मिले तो उसे जल्द अस्पताल के मुर्दाघर पहुंचाया जा सके।
-अजयपाल लांंबा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, जयपुर कमिश्नरेट