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जयपुर

जन्म देने वाले माता-पिता ने कोरोना में मोटर साइकिल के हैंडल पर छोड़ा था, अब विदेशी दम्पत्ति ने गले लगाया

बीमारी के कारण पिछले साल लॉकडाउन में बाइक के हैंडल पर छोड़ गए थे परिजन, अब विदेशी दम्पती ने लगाया गले, यूके जाएगी मासूम

जयपुरOct 19, 2021 / 05:34 pm

pushpendra shekhawat

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जया गुप्ता / जयपुर. कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच राजधानी के परकोटा इलाके में एक माह की जिस मासूम को मोटर साइकिल के हैंडल पर प्लास्टिक बैग में छोड़ा गया था, अब उसे विदेशी दम्पती ने गले लगाया है। यूके निवासी दम्पती ने डेढ़ वर्षीय सुप्रिया (परिवर्ति नाम) को गोद लिया है। सोमवार को गांधी नगर स्थित शिशुगृह से यूके निवासी मॉरिस दम्पती को गोद दिया गया।
36 वर्षीय मां ने जैसे ही पहली बार बेटी को गोद में लिया, वह फूट-फूट कर रो पड़ीं। वहीं 48 वर्षीय पिता की भी आंखे नम हो गईं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को उनका जन्मदिन है और इस अवसर पर ईश्वर ने उन्हें बेटी का अमूल्य उपहार दिया है। जो बेहद कीमती और प्यारा है।
शिशु गृह की अधीक्षक किरण पंवार ने बताया कि बच्ची को मई 2020 में विपरीत परिस्थितियों में छोड़ा गया था। उस समय कुछ रिपोट्र्स से लगा था कि बच्ची को डाउन सिंड्रोम है। मगर अब बच्ची बिल्कुल स्वस्थ है। बच्ची का विकास कुछ धीमा है। बच्ची शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से स्वस्थ है।
कपड़ों में लपेट कर छोड़ गए थे परिजन
मई 2020 के समय जब कोरोना का खौफ लोगों में काफी अधिक था। शहर ही नहीं पूरा देश लॉकडाउन में था। उस समय सुभाष चौक थाना इलाके के मोहल्ला सिलावटान में मोटर साइकिल के हैंडल पर एक प्लास्टिक के थैले में कपड़ों में लपेट कर बच्ची को छोड़ दिया गया था। करीब एक माह की मासूम की तेज रोने की आवाज सुनकर लोगों को बच्ची का पता लगा। उसके हाथ पर मेडिकल टेप लगी हुई थी। जिससे अंदेशा लगाया गया था कि उसका इलाज चल रहा था। संभवतया बीमारी के कारण ही उसे छोड़ा गया था।
नई दुनिया में जा रही एक मासूम अपील

‘जिस माता-पिता ने जन्म दिया, जिनकी जिम्मेदारी थी, मुझे पालने की, उन्होंने मुझे बोझ समझकर कोरोना संक्रमण के बीच लॉकडाउन के सन्नाटे में छोड़ दिया था। छोड़ा भी कुछ इस तरह कि देखने वाले का दिल पसीज जाए। मोटर साइकिल के हैंडल पर प्लास्टिक बैग में। मगर अब मुझे नए माता-पिता मिल गए हैं। मां, तुमने तो मुझे छोड़ दिया था। नई मां मुझे देखते ही रो पड़ी। जब मुझे प्यार से उठाकर गले लगाया तो लगा इन्होंने ही मुझे जन्म दिया है। पहले ही दिन मैं अपने माता-पिता की लाड़ली बन गई। अब मैं अपने देश से कोसों दूर दूसरे देश जा रही हूं। अब वहीं मेरी नई दुनिया होगी, नया परिवार होगा। मेरी इस देश और देशवासियों से इतनी ही प्रार्थना है कि आगे से किसी बच्चे को यों थैले में बांधकर सड़क पर मत फेंकना। अगर किसी बच्चे को अपनाना नहीं चाहते तो वैध तरीके से बच्चे को सुरक्षित रूप से छोड़ दीजिए।’

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