कैबिनेट से चाह रहे आजादी, क्योंकि फाइलें नहीं फंसे… -बांध व अन्य जल स्त्रोतों में पानी का आरक्षण बढ़ाने की मंजूरी कैबिनेट से लेनी पड़ती है। जबकि, मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में यह प्रक्रिया मुख्य सचिव स्तर पर ही पूरी की जा रही है। जलदाय मंत्री के जरिए जल संसाधन मंत्री तक फाइल पहुंचती और फिर पानी आवंटन से जुड़ी कमेटी इसे मंजूरी देती है। इसमें मुख्य सचिव अध्यक्ष होते हैं। राजस्थान में भी इस मामले में कैबिनेट अपनी शक्तियां इसी कमेटी को दे।
-इस मिशन की नोडल एजेंसी स्टेट वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन होगा। इस अभियान से जुड़े जितने भी स्वीकृतियां लेनी है, वह इसी मिशन के जरिए मिल जाए। इसकी अध्यक्षता भी मुख्य सचिव करते हैं।
6 माह, 2 लाख घरों को जोड़ने का टारगेट
जल जीवन मिशन के तहत अगले 6 माह के लिए 21 प्रोजेक्ट को चिन्हित किया है, जिसमें 7.6 लाख घर शामिल हैं। इस वित्तीय वर्ष में दो लाख घरों को पेयजल लाइन से जोड़ने पर काम शुरू होगा। खास यह है कि ये सभी संचालित प्रोजेक्ट हैं। इन्हें जल जीवन मिशन में जोड़ा गया है। इसमें 3222 करोड़ लागत के 21 प्रोजेक्ट हैं, जिन पर इस वित्तीय वर्ष में 645 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
मॉनिटरिंग की 3 कमेटी की रहेगी नजर.. 1. स्टेट वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन : डब्ल्यूएसएसओ के तहत यह कमेटी काम कर रही है। यह नोडल एजेंसी की भूमिका में होगी। राज्यभर में प्रोजेक्ट बनाना, उसकी लागत आकलन से लेकर काम की काम की उपयोगिता की मॉनिटरिंग।
2. डिस्ट्रीक्ट वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन : जिला कलक्टर के नेतृत्व में काम होगा। इसमें जलदाय विभाग के अफसर, संबंधित जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। 3. डिस्ट्रीक्ट वाटर एण्ड सेनिटेशन कमेटी : जिला प्रमुख की अध्यक्षता में कमेटी का संचालन होगा। इसमें शामिल सभी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।